Kanpur: बीसीसीआई की अंडर-14 राज सिंह डूंगरपुर ट्रॉफी में खेलने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश से सैकड़ों खिलाड़ी कानपुर स्थित यूपीसीए के मुख्यालय पहुंचे लेकिन यहां उनकी प्रतिभा का आंकलन जिस तरह किया गया उसे देखकर कोई विश्वास ही नहीं कर रहा था कि यहां स्टेट टीम का ट्रायल चल रहा है।
कमला क्लब में 14 व 15 दिसंबर को सभी जोन के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को स्टेट टीम की चयन प्रक्रिया के लिए बुलाया गया था। पहले दिन तो ट्रायल सही से कराया गया लेकिन दूसरे दिन जब अन्य जोन के खिलाड़ी ट्रायल देने पहुंचे तो यहां पहले से ही पुलिस-प्रशासन और डाक्टर एकादश के मध्य मैत्री मैच खेला जा रहा था। ऐसी सूरत में इन खिलाड़ियों को मैदान के बाहर एक कोने में बने नेट पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने को कहा गया।
मजबूरन खिलाड़ियों ने ट्रायल तो दिया लेकिन न तो वह खुश दिखे और न ही उनके साथ आए माता-पिता। वहीं यूपीसीए के किसी भी जिम्मेदार की नजर ट्रायल के साथ हुए खिलवाड़ पर नहीं गई। जबकि इस ट्रायल को आगे बढ़ाया जा सकता है और मानक युक्त ट्रायल कर खिलाड़ियों की प्रतिभा को परखा जा सकता था। जबकि यूपीसीए के शीर्ष पराधिकारी जूनियर क्रिकेट को बढ़ावा देने की बात हमेशा करते आए हैं। इस मामले में जब यूपीसीए के सीईओ अंकित चटर्जी से पूछा गया तो उनका कहना था कि कमला क्लब में हुए मैत्री मैच से ट्रायल प्रभावित नहीं हुआ। ट्रायल में सभी मानक का ख्याल रखा गया है।
शहर के सीनियर खिलाड़ियों का कहना है कि यूपीसीए की चयन प्रक्रिया वैसे भी सवालों के घेरे में रहती है। यहां चयन में मानक से ज्यादा पैसा-पउआ आंका जाता है। ऐसी सूरत में अंडर-14 टीम चयन में दिखे इस नजारे से कोई हैरानी नहीं होनी चाहिये क्योंकि टीम तो वैसे भी पहले से बन चुकी है। ट्रायल तो केवल एक खानापूर्ति है।