जनवरी 2024 से 13 दिसंबर 2024 तक
Ujjain। बाबा महाकाल के भक्तों ने फिर दिल खोलकर दान दिया है। मंदिर की कमाई का हिसाब सामने आया है। आंकड़े के मुताबिक जनवरी 2024 से 13 दिसंबर 2024 तक 1 अरब 65 करोड़ रुपये से अधिक कमाए हैं। महाकाल को 399 किलो चांदी और 1533 ग्राम सोना भी चढ़ावे में आया है। महाकाल लोक बनने के बाद दर्शनार्थियों की संख्या बढ़कर डेढ़ से दो लाख प्रतिदिन हुई है। इससे मंदिर की आय तीन गुना बढ़ गई है। हालांकि, गर्भगृह बंद होने से पिछले साल के मुकाबले कमाई थोड़ी कम रही। लड्डू प्रसादी से भी मंदिर को 53 करोड़ 50 लाख रुपये से ज़्यादा की आय हुई।
महाकाल लोक के निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। पहले जहां रोजाना 40 से 50 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे, अब यह संख्या डेढ़ से दो लाख तक पहुंच गई है। इस बढ़ोतरी का सीधा असर मंदिर की आय पर दिखाई दे रहा है, जो तीन गुना तक बढ़ गई है। भक्तों ने न केवल नकद दान दिया है।
बल्कि बड़ी मात्रा में सोना-चांदी भी चढ़ावा के रूप में अर्पित किया है। इस दौरान 399 किलो चांदी और 1533 ग्राम सोना दान में मिला है, जिसकी कीमत क्रमशः 2 करोड़ 42 लाख 803 रुपये और 95 लाख 29 हजार 556 रुपये है। इसके अलावा, 64 किलो आभूषण भी दान पेटी से निकले हैं, जिनमें हीरे की अंगूठी, कीमती घड़ी और विदेशी मुद्रा भी शामिल है।
पिछले साल मंदिर समिति ने 13 महीनों का आंकड़ा जारी किया था, जब करीब 6 महीने तक गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं था। उस समय प्रत्येक श्रद्धालु से गर्भगृह प्रवेश के लिए 750 रुपये लिए जाते थे, जिससे मंदिर की 13 महीनों की आय 1 अरब 69 करोड़ 73 लाख रुपये हुई थी। इस साल गर्भगृह बंद होने के बावजूद 12 महीने पूरे होने से पहले ही मंदिर की आय 1 अरब 65 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। मंदिर समिति को अभी 18 दिन के दान और अन्य आय की गणना करनी बाकी है।
महाकाल मंदिर की लड्डू प्रसादी देशभर में प्रसिद्ध है। भक्त बड़ी संख्या में लड्डू प्रसादी खरीदते हैं। मंदिर समिति रोजाना 40 क्विंटल से अधिक लड्डू बनाती है। लड्डू प्रसादी की बिक्री से मंदिर को एक साल में 53 करोड़ 50 लाख 14 हजार 552 रुपये की आय हुई है। महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ के अनुसार, मंदिर समिति का लड्डू शुद्ध घी से निर्मित होता है और भक्तों को नो प्रॉफिट नो लॉस में बेचा जाता है।