दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया
New Delhi । दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना फिर चर्चा में आ गई है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने फिर आयुष्मान योजना का विरोध कर हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आप सरकार का तर्क है कि दिल्ली आरोग्य कोष (डीएके) योजना व्यापक प्रभाव के साथ आयुष्मान भारत योजना से कहीं ज्यादा प्रभावी और व्यापक है। दिल्ली के सभी भाजपा सांसदों ने एक जनहित याचिका दायर करके हाई कोर्ट से आप सरकार को केंद्र की योजना को लागू करने का निर्देश देने की मांग की है।
इसके जवाब में आतिश सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर करके कहा है कि आयुष्मान भारत योजना को लागू करना पहले से मौजूद दिल्ली आरोग्य कोष योजना को डाउनग्रेड करने जैसा होगा। दिल्ली सरकार का तर्क हैं कि केंद्र की योजना से शहर की सिर्फ कुछ प्रतिशत आबादी को लाभ होगा।
आप सरकार का यह जवाब तब आया है जब उच्च न्यायालय ने पिछले महीने दिल्ली सरकार और केंद्र के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को राष्ट्रीय राजधानी में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने के लिए 5 जनवरी तक एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि जब 33 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पहले ही इस योजना को लागू कर चुके हैं, तब दिल्ली में इस योजना को लागू न करना अनुचित होगा।
दिल्ली सरकार ने कहा है कि आयुष्मान योजना से दिल्ली शहर की केवल 12-15 प्रतिशत आबादी को लाभ होगा, जिससे इसका प्रभाव सीमित होगा। इसके विपरीत, इसके द्वारा प्रस्तावित डीएके योजना का व्यापक और अधिक दूरगामी प्रभाव है।
आप सरकार ने हाई कोर्ट में दावा किया कि वह अपने नागरिकों को बेहतर हेल्थ सर्विस पॉलिसी और अच्छे गवर्नमेंट हॉस्पिटल का नेटवर्क प्रदान करती है। आप सरकार ने बताया कि दिल्ली के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले 30 प्रतिशत से अधिक मरीज पड़ोसी राज्यों से हैं, जो भाजपा द्वारा शासित हैं जिससे याचिकाकर्ता संबंधित हैं।
आप सरकार ने कहा, पड़ोसी राज्यों द्वारा पीएम-जेएवाई योजना को अपनाने के बावजूद, डेटा से साफ होता है कि इन स्थानों से इलाज के लिए बड़ी संख्या में मरीज दिल्ली आ रहे हैं। क्योंकि दिल्ली के अस्पतालों में दिया जा रहा उपचार अन्य राज्यों में आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को मिल रहे इलाज की तुलना में कहीं बेहतर है।