New delhi । भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने ऑपरेशन सिंदूर में एक अनोखी और चतुर रणनीति अपनाई। भारतीय वायुसेना ने बिना पायलट वाले ड्रोन (यूएवीएस) का इस्तेमाल किया, जो सुखोई-30 और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों की तरह दिखते थे।
इन नकली विमानों ने पाकिस्तानी वायुसेना और उनकी हवाई रक्षा प्रणाली को धोखा दिया, जिससे भारत को पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर सटीक हमले करने का मौका मिला गया।
भारतीय वायुसेना ने बिना पायलट वाले ड्रोन को इस तरह तैयार किया कि वे रडार और इन्फ्रारेड सिग्नल में सुखोई-30 एमकेआई और मिग-29 जैसे लड़ाकू विमानों जैसे दिखें। ये ड्रोन पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली के लिए असली खतरे की तरह लगे। इन नकली ड्रोन ने पाकिस्तान की चीनी एचक्यू-9 मिसाइल सिस्टम को सक्रिय करा दिया। पाकिस्तानी सेना के लड़ाकू विमानों को गलत जगहों पर भेजा। इससे पाकिस्तान के रडार और कमांड सेंटर की स्थिति उजागर हो गई।
जब पाकिस्तान ने अपने रडार और मिसाइल सिस्टम चालू किए, तब इजरायल निर्मित हारोप ड्रोन (जिन्हें सुसाइड ड्रोन भी कहते हैं) का इस्तेमाल किया। ये ड्रोन रडार की तरंगों का पीछा करके उन्हें नष्ट कर देते हैं। पाकिस्तान की हवाई रक्षा कमजोर होने के बाद भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों से 11 एयरबेस पर सटीक हमले किए, जिसमें भोलारी और नूर खान जैसे बड़े ठिकाने शामिल थे।