अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर विशेष :-
Kanpur । हिंदी भारत की राजभाषा होने के साथ ही विश्व की एक प्रमुख भाषा है। हिंदी के मानकीकृत रूप को मानक हिंदी कहा जाता है। मानक हिंदी में संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक है और अरबी–फ़ारसी शब्द कम हैं। रामा डेंटल कॉलेज में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपिका शुक्ला ने इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों,संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है।
बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।उन्होंने कहा कि सबसे गौर करने वाली बात यह है कि हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं। हमें भारत के सभी राज्यों से भाषा जुड़ने का अवसर देती है। यह भाषा हमें एकता के सूत्र में बांधती है। किसी भाषा को सीखने का सबसे अच्छा लाभ यह है कि यह आपको अन्य भाषाएं सीखने में मदद करती है। यदि आप हिंदी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं, तो स्पेनिश, फ्रेंच या जर्मन जैसी अन्य भाषाएं अपनी मूल भाषा या उन भाषाओं से आसानी से सीखी जा सकती हैं जो आपने पहले सीखी हैं। इन भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी का प्रयोग पूरे भारत में होता है।
दीपिका शुक्ला ने आगे कहा कि वास्तव में भाषा एक सामाजिक क्रिया है, किसी व्यक्ति की कृति नहीं। हिंदी भाषा शिक्षण का मूल उद्देश्य जैसे सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना, व्यावहारिक व्याकरण का ज्ञान, भाषा प्रयोग तथा सृजनात्मकता का विकास की पूर्ति इस शिक्षण से किया गया है । हमने गतिविधियों पर काफी बल दिया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा आभ्यन्तर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यन्तर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है। भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है।