मंडलायुक्त के. विजयेंन्द्र पांडियन के निर्देश पर किया भ्रमण
Kanpur ।वीआईपी रोड के समानांतर गंगा के किनारे एक अतिरिक्त सड़क मार्ग के साथ रिवर फ्रंट परियोजना के लिए इसी प्रकार का पटना में किए गए निर्माण मॉडल का अध्ययन करने के लिए आयुक्त कानपुर मंडल के निर्देश पर समन्वयक नीरज श्रीवास्तव के साथ लोक निर्माण विभाग के अधिक्षण अभियंता अनिल कुमार,सेतु निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक बीके सेन, सिचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता के पी पांडेय तथा केडीए के अधिकारी ने सयुक्त रूप से ‘पटना गंगा पथ’ का भ्रमण किया
भ्रमण में साथ में पटना गंगा पथ योजना का निर्माणकर्ता विभाग बिहार सड़क पथ विकास निगम के महाप्रबंधक अरुण कुमार तथा अन्य अधिकारियों के साथ २० किलोमीटर की निर्मित गंगा पथ परियोजना में साथ रहे बिहार सड़क पथ विकास निगम के अधिकारियों ने निर्माण प्रक्रिया और विभिन्न प्रकार के चैलेंजेस, एनजीटी इत्यादि की जानकारी दी
भ्रमण के बाद बिहार राज्य सड़क पथ विकास निगम के प्रबंध निदेशक कपिल अशोक के साथ बैठक कर दोनों शहरों के गंगा तटों की स्थितियों पर विचार- विमर्श किया गया और सुझावों का आदान -प्रदान किया गया। उन्होंने अपने अधिकारियों को निर्देश भी दिए कि कानपुर योजना में जो भी उनका विभागीय सहयोग अपेक्षित होगा उनके अधिकारी सहयोग करेंगे।
कानपुर रिवर फ्रंट योजना वर्ष 2013 में प्रथम बार प्रस्तावित हुई इसका अध्ययन आईआईटी कानपुर ने किया जिसका प्रस्तुतिकरण उस समय विश्व बैंक के अध्यक्ष के कानपुर भ्रमण के दौरान तत्कालीन आयुक्त शालिनी प्रसाद, उपाध्यक्ष केडीए जय श्री भोज तथा नीरज श्रीवास्तव ने सीसामऊ नाले पर ही प्रस्तुतिकरण दिया, जिस पर विश्वबैंक अध्यक्ष ने प्रसन्नता व्यक्त की और प्रस्ताव उस समय विश्व बैंक वित्त पोषण हेतु राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण भेजा भी गया।
बाद में नमामि गंगे विभाग के गठन के बाद परिवर्तित प्रक्रिया में यह परियोजना आरंभ नहीं हुई ।
अब शासन भी गंगा रिवर फ्रंट जैसी परियोजना को प्राथमिकता पर लिए हुए है। यह भी महत्वपूर्ण है कि अब इस प्रकार की गंगा नदी के किनारे विकास की योजनाओं में एनजीटी के अतिरिक्त माननीय न्यायालयों की गाइड लाइन भी जारी है, इसलिए अन्य शहरों के गंगा तट पर इस प्रकार के निर्माण प्रक्रिया का अध्ययन उपयोगी है।
इसी क्रम समन्वयक नीरज श्रीवास्तव के सुझाव पर की वीआईपी रोड ,जिस पर यातयात का काफी दबाव है और समानांतर सड़क निर्माण का स्कोप या स्थान नहीं है, ना ही रिवर फ्रंट के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध है इसके समाधान के लिए पटना में निर्मित गंगा पथ का हवाला देते हुए आयुक्त विजयेंद्र पंडियन को सुझाव दिया कि पटना शहर की स्थित भी कुछ कानपुर की तरह थी और वहाँ बिहार सड़क पथ विकास निगम ने गंगा के किनारे नदी में सिक्स लेन सड़क गंगा पथ का निर्माण सेतु पद्धति पर प्रथम चरण में २० किलोमीटर लंबा किया है और उसी से जोड़कर जहाँ -जहाँ जगह मिल रही हैं ।
रिवर फ्रंट परियोजना का निर्माण करने जा रहा है। कानपुर के लिए इसकी उपयोगिता के दृष्टिगत इसकी संभावना देख कर प्रस्ताव तैयार करने के लिये आयुक्त विजयेंद्र पंडियन ने इस संयुक्त समिति को पटना भेजा ।समन्वयक नीरज श्रीवास्तव ने बताया, पटना भ्रमण से पूर्व कानपुर के लिए प्रस्तावित स्थल शुक्लागंज सेतु से अटल घाट तक का बोट द्वारा भ्रमण कर संभावनाओं को भी देखा जा चुका है।
नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि सिंचाई,लोक निर्माण विभाग,सेतु निगम विभाग के अधिकारी शीघ्र कानपुर के लिए प्रस्ताव आयुक्त मंडल को देंगे, जो आवश्यक कार्रवाई हेतु शासन को प्रेषित किया जाएगा ।
उच्च स्तरीय संयुक्त विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव ने वर्ष 2016 में ऐसी ही योजना गंगा के किनारे हरिद्वार से बलिया तक गंगा पाथ वे के निर्माण का प्रस्ताव आयुक्त के साथ प्रस्तुतिकरण कर मुख्य सचिव को दिया जिसमे बरेली लखनऊ प्रयागराज वाराणसी आजमगढ़ ,विंध्याचल मंडल के आयुक्त गणों के अतिरिक्त प्रमुख सचिव वित्त, सिंचाई, नगर विकास तथा आई आई टी कानपुर के विशेषज्ञ ने भाग लिया था, जिसमें इस परियोजना का अध्ययन आईआईटी कानपुर से कराए जाने का निर्णय लिया गया ।
नीरज श्रीवास्तव ने सुझाव दिया, गंगा तट के बड़े नगरों में जनसंख्या तथा वाहनों के दबाव से नागरिक के लिए असुविधाएं बढ़ रही है जिनका समाधान पारंपरिक तकनीक या वर्तमान नियम प्रविधानों से संभव नहीं हो रहा है, ऐसी स्थिति में दूसरे नगरों में उच्च स्तरीय इच्छाशक्ति से विशेष प्रविधान कर निर्माण कार्य पटना की तरह किए जा रहे हैं, इनके मॉडल को देखकर दूसरे जनपदों को भी योजनाएं बनाने में आसानी होगी।