अगर आप अपनी भाषा खो देते हैं, तो आप अपनी संस्कृति और पहचान भी खो देते हैं।”
Kanpur । 21 फरवरी को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) मनाया जाता है। यह दिवस भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने, मातृभाषा के महत्व को समझाने और भाषाई अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। AURA Trust की संस्थापक और CEO ऑफ अमोर डॉ. अमरीन फ़ातिमा (MD in Medicine, MSW DECE PGDMH , Gold Medalist) ने एक महत्वपूर्ण पहल की है, जिसके तहत बच्चों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने पर जोर दिया जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस: इतिहास और महत्व
इस दिवस की शुरुआत यूनेस्को (UNESCO) ने 1999 में की थी, और इसे आधिकारिक रूप से 2000 से मनाया जाने लगा। इसका इतिहास 21 फरवरी 1952 की घटना से जुड़ा है, जब बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में मातृभाषा बंगाली के लिए संघर्ष करते हुए कई छात्रों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस आंदोलन के कारण ही बंगाली भाषा को आधिकारिक मान्यता मिली, और यह दिवस भाषाई अधिकारों की रक्षा के प्रतीक के रूप में उभरा।
मातृभाषा का वैज्ञानिक महत्व: क्यों जरूरी है अपनी भाषा?
1. मस्तिष्क विकास और शिक्षा
शोध बताते हैं कि जब कोई बच्चा मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करता है, तो उसका ज्ञान ग्रहण करने की क्षमता (Cognitive Development) अधिक तेज़ होती है।यूनेस्को की रिपोर्ट (2016) के अनुसार, मातृभाषा में पढ़ने वाले बच्चों का सीखने का स्तर अधिक होता है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि मातृभाषा में शिक्षा देने वाले देशों में बच्चों का शैक्षणिक प्रदर्शन अधिक होता है।
भारत में किए गए NCERT के शोध के अनुसार, जिन बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होती है, वे दूसरी भाषाओं को भी जल्दी सीखते हैं।
2. संस्कृति और पहचान की रक्षा
मातृभाषा सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान का प्रतिबिंब है। यदि हम अपनी भाषा को छोड़ देते हैं, तो हम अपनी परंपराओं और इतिहास से भी कट जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन समुदायों की भाषाएं विलुप्त हो जाती हैं, उनकी सांस्कृतिक विरासत भी धीरे-धीरे मिटने लगती है।इथनोलॉग रिपोर्ट (Ethnologue Report 2023) के अनुसार, हर दो सप्ताह में एक भाषा विलुप्त हो जाती है।
3. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
जो लोग अपनी मातृभाषा में सोचते और बोलते हैं, वे कम तनाव (Stress) में रहते हैं और आत्म-विश्वास से भरे होते हैं।अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार, मातृभाषा में संवाद करने वाले लोग मानसिक रूप से अधिक स्थिर होते हैं।बिलिंग्वल बच्चों (जो दो भाषाएं जानते हैं) में IQ और समस्या-समाधान की क्षमता अधिक पाई गई है।