Kanpur ।दक्षिण भारतीय 165 वर्षीय प्राचीन महाराज प्रयागनारायण मन्दिर शिवाला में “बैकुष्ठ उत्सव” मनाया गया यह ५ दिवसीय उत्ताव प्रतिवर्ष पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णमासी तिथि तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव एक तिथि की हानि पर चार दिवसीय मनाया जायेगा।
प्रथम दिन उत्सव का मुख्य आकर्षण संस्कृत एवं तमिल भाषा में विशेष मन्त्रोच्चारण के साथ एकादशी को प्रातः “बैकुण्ठ द्वार” (एक विशेष द्वार) खोला गया यह दरवाजा जो कि प्रतिवर्ष एकादशी से पूर्णमासी तिथि तक आम भक्तों हेतु खुला रहता है। असख्य भक्तगण भगवान श्री बैकुण्ठनाय (लक्ष्मीनारायण भगवान) के भव्य स्वर्ण सिंहासन को कंधे पर रखकर इसी बैकुण्ठद्वार से बाहर आये साथ में दक्षिण भारत के चार आचार्यो (अलवार) के रजत सिंहासन भी रहें।
यह स्वर्ण सिंहासन (शिवाला) मन्दिर के प्रांगण में भक्तों के कन्धों में विराजमान होकर परिक्रमा हुयी परम्परागत विशेष निर्मित अंगवस्त्रम एवं विशेष निर्मित पेड़ा प्रसाद वितरण किया गया। यह महोत्सव आम जनमानस में बड़े पेड़े वाला उत्सव के नाम से चर्चित हैं।
विशेष बैकुण्ठद्वार अगामी चार दिन तक खुला रहेगा। उत्सव मंदिर के युवा प्रबन्धक अभिनवनारायण तिवारी एवं अध्यक्ष विजयनारायण तिवारी “मुकुल” तथा राघवनारायण तिवारी के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ ।उत्सव में वृन्दावन, नैमिषारण, एवं प्रयागराज अयोध्या आदि से अनेक भक्त एवं आचार्यों ने भाग लिया ।
मध्यान्ह एकादशी का सार्वजनिक भण्डारा सम्पन्न हुना ।प्रमुख रूप से राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, अनिल कुमार शर्मा, मनोज तिवारी, जागेन्द्र अवस्थी, मनोज सेंगर, अमिताभ बाजपेयी, अवधबिहारी मिश्र, सुरेश अवस्थी, अंगद सिंह प्रदीप दीक्षित, राजीव तिवारी, धर्म प्रकाश गुप्त, महेश मिश्र, अजय कुमार शमी, राजेश मिश्र- आदि रहें।