TATA SONS: आरबीआई पर आरोप लगाते हुए गुरुवार को कानूनी नोटिस दिया गया है। यह नोटिस मुंबई के सुरेश तुलसीराम पाटिलखेड़े ने भेजा है।
इस नोटिस में टाटा संस और आरबीआई के बीच चल रहे विवाद पर सवाल किए गए हैं। नोटिस में कहा गया कि टाटा संस नियमों से बचने की कोशिश कर रही है। वह पब्लिक लिस्टिंग से भी बचना चाहती है। आरबीआई के अंदर हितों के टकराव का भी जिक्र किया गया है।
नोटिस में कहा गया किटाटा संस कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (सीआईसी) है। यह आरबीआई के स्केल-बेस्ड रेगुलेशनके तहत महत्वपूर्ण नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी है।
नोटिस में आरोप है कि टाटा संस 2025 तक पब्लिक लिस्टिंग से बचने की कोशिश कर रही है। 28 मार्च 2024 को टाटा संस ने अपने सीआईसी दर्जे को रद्द करने के लिए आवेदन किया था। नियमों के अनुसार, सीआईसी कंपनियों को पब्लिक लिस्टिंग करानी होती है।ये आरबीआई की कड़ी निगरानी में रहती हैं।
नोटिस में लिखा है, टाटा संस एनबीएफसी के रूप में अपना कारोबार कर रही है और सार्वजनिक धन से लाभ कमा रही है। शिकायतकर्ता का कहना है कि टाटा संस पर 4,00,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। इससे उसकी सहायक कंपनियों और देश की अर्थव्यवस्था को खतरा है।
वेणु श्रीनिवासन टाटा ट्रस्ट के साथ आरबीआई बोर्ड के भी सदस्य
नोटिस में वेणु श्रीनिवासन के हितों के टकराव पर भी सवाल उठाया गया है।
श्रीनिवासन टाटा संस के निदेशक और टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष हैं। वह आरबीआई बोर्ड के सदस्य भी हैं। नोटिस में दावा किया गया है कि श्रीनिवासन की दोहरी भूमिका आरबीआई के फैसलों की स्वतंत्रता को प्रभावित करती है।
टाटा संस के सीआईसी दर्जे को रद्द करने के आवेदन पर आरबीआई के विचार को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। आरबीआई बोर्ड में वेणु श्रीनिवासन की उपस्थिति आरबीआई जैसी संस्था की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह हितों के टकराव का मामला लगता है। आरबीआई के पास इस तरह के आवेदन पर विचार करने का अधिकार भी नहीं है।