Wednesday, January 15, 2025
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Mumbai : चीनी वायरस के केसों से हिला शेयर बाजार

…सेंसेक्स 1258 अंक गिरकर 77,964 पर बंद, निफ्टी भी 388 अंक गिरा,

सरकारी बैंकों के शेयर्स में सबसे ज्यादा बिकवाली रही
निवेशकों के 12 लाख करोड़ डूबे

Mumbai । चीन में वायरस फैलने की खबरों के बीच बेंगलुरु में भारत का पहला एचएमपीवी मामला सामने आने के बाद, शेयर बाजार में कोहरम मच गया। सेंसेक्स 1,258 अंक की गिरावट के साथ 77,964 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 388 अंक की गिरावट रही, ये 23,616 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, बीएसई स्मॉलकैप 1778 अंक गिरकर 54,337 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 27 में गिरावट और 3 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 43 में गिरावट और 7 में तेजी रही। इस गिरावट की वजह से शेयर बाजार निवेशकों के करीब 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा डूब गए।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में जबरदस्त बिकवाली देखने को मिल रही है। पीएसयू बैंक, रियल एस्टेट स्टॉक और तेल एवं गैस स्टॉक में बड़ी गिरावट देखी जा रही है। बैंक ऑफ बड़ौदा, पीएनबी और केनरा बैंक लगभग 4 फीसदी से ज्यादा नीचे दिखाई दिए। दिग्गज एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और कोटक महिंद्रा बैंक में भी बड़ी गिरावट है। आइए आपको भी बताते हैं कि इस एचएमपीवी वायरस की वजह से शेयर बाजार में किस तरह की गिरावट देखने को मिल रही है।
ग्लोबल इकोनॉमी में उतार-चढ़ाव
पिछले कुछ सप्ताह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है। दुनिया की सबसे बड़ी अमेरिकी इकोनॉमी में भी हाल ही में पिछले कुछ सालों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। यूएस में सत्ता बदलने वाली है और डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। पूरी दुनिया की नजर उनकी नीतियों पर रहेगी और अगर ट्रंप कड़े फैसले लेते हैं तो बाजार पर भी इसका असर पड़ेगा।
लगातार मजबूत होता डॉलर
लगातार मजबूत होते डॉलर और गिरते रुपये का असर भी भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा है। आज अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया तीन पैसे टूटकर 85.82 (अस्थायी) प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया। लगातार मजबूत होता डॉलर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बुरा संकेत है। इससे आयात और निर्यात पर असर पड़ रहा है जिससे सीधे तौर पर सरकारी खजाना प्रभावित हो रहा है। विदेशी निवेशकों द्वारा की जारी बिकवाली भी बाजार में गिरावट का बड़ा कारण है। आज भी विदेशी निवेशकों ने जमकर बिकवाली की जिसके चलते गिरावट हुई।
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। कमजोर हाजिर मांग के बाद कारोबारियों के अपने सौदों की कटान करने से वायदा कारोबार में सोमवार (6 जनवरी 2025) को कच्चे तेल की कीमत 43 रुपये की गिरावट के साथ 6,330 रुपये प्रति बैरल हो गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चे तेल का फरवरी माह में आपूर्ति होने वाला अनुबंध 43 रुपये या 0.67 प्रतिशत की गिरावट के साथ 6,330 रुपये प्रति बैरल रह गया। इसमें 14,058 लॉट के लिए कारोबार हुआ। वैश्विक स्तर पर वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल की कीमत 0.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73.67 डॉलर प्रति बैरल रही, जबकि ब्रेंट क्रूड 0.41 प्रतिशत फिसलकर 76.20 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं है। कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे तो भारत में उसका असर देखने को मिलेगा और महंगाई दर बढऩे की संभावना भी रहेगी।

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