PARPANCH NEWS: शिव की नगरी काशी में Dev Diwali के आयोजन को भव्य स्वरूप दिया गया है। कुम्हारों ने कहा कि योगी सरकार ने मिट्टी को हमारे लिए ‘सोना’ बना दिया है। कभी अपने हाथों के हुनर को साबित करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन योगी सरकार के सहयोग व सानिध्य से इन दीपों की पहले से आर्डर के साथ हाथोहाथ बिक्री हो रही है।
कुम्हारों के घरों से दूर हुए अंधेरे
017 के बाद देव दीपावली की भव्यता बढ़ने के साथ नए स्वरूप में लोकल से ग्लोबल हुई काशी की देव दीपावली कई मायनों में उजाला लेकर आती है। योगी सरकार ने कुम्हारों को सरकार की योजनाओं से जोड़कर आगे बढ़ने का रास्ता दिया। इससे कुम्हारों के चाक की रफ्तार बढ़ी और सनातन की रोशनी भी विश्वपटल पर चमकने लगी। इस चमक ने कुम्हारों के घरों में अंधेरे को भी दूर कर उजाला किया और नई राह दिखाई।
देव दीपावली की पौराणिक मान्यता
ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली होती है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को मनाने के लिए देवता स्वर्ग से काशी के पावन गंगा घाटों पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं। ये पर्व काशी की प्राचीन संस्कृति का खास अंग है। देव दीपावली का वर्णन पुराणों में मिलता है। कार्तिक मास में त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर अत्याचार शुरू किया, तब भगवान शिव ने इस क्रूर राक्षस का वध इसी दिन किया था। देवताओं ने दीपावली मनाई थी। ऐसी भी मान्यता है की काशी नरेश ने अपने शहीद सैनिकों के लिए घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन की प्रथा शुरू की थी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ने वाली देव दीपावली के दिन घाटों पर गंगा की महाआरती में लोग आस्था के गोते लगाते हैं। पंच गंगा घाट से शुरू कुछ दीप देव दीपावली से आज लाखों में पहुंच गई है।
7 गांव के 350 से अधिक कुम्हार बना रहे दीप
वाराणसी के 7 गांव हरिहरपुर ,गहनी ,जयपारऊदी ,पलईपट्टी रसूलपुर ,मुर्दहा ,राजा तालाब के लगभग 350 से अधिक कुम्हार मिट्टी को दीपों का आकार दे रहे हैं। जो आग में तपने के बाद उनके लिए सोना हो जाते हैं। एक गॉव से लगभग 7 से 8 परिवार देव दीपावली के लिए दीप तैयार कर रहे हैं।
एक साथ प्रज्ज्वलित होंगे 12 लाख दीप
पर्यटन विभाग के उप निदेशक राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि सरकार और जन सहभागिता से 12 लाख से अधिक दीप प्रज्ज्वलित होंगे। इन्हें जलाने के लिए लगभग 25 से 30 हज़ार लीटर तेल का ऑर्डर दिया गया है। एक साथ सभी दीप लगभग 3 से 4 घंटे तक घाटों, कुंडो और सरोवरों को रोशन करेंगे ।
8 वर्ष में तीन गुना तक हुई दीपों की संख्या
2017 में योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने के बाद देव दीपावली की चमक और बढ़ गई। घाटों, कुंडों ,तालाब पर पहले से तीन गुना दीप जलने लगे। 2023 में प्रांतीय मेला घोषित होने के बाद देव दीपावली की आभा और दमकने लगी। इस वर्ष देव दीपावली में योगी सरकार की ओर से 12 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। बड़ी संख्या में गाय के गोबर से बने दीप भी हैं। इसके अलावा 5 लाख दीप काशी की जनता, पर्यटक (जनसहभागिता) मिलकर जलाएंगे।
योगी सरकार में किस वर्ष जले कितने दीप
वर्ष — दीप
2017—-4.5 लाख
2018—6 लाख
2019—8 लाख
2020—12 लाख
2021—11 लाख
2022 —-10 लाख
2023 —12 लाख
2024 —12 लाख
कुम्हारों की दीवाली
योगी जी ने कुम्हारों की मिट्टी को ‘सोना’ बना दिया है। ऑर्डर मिलने के पहले से ही पूरा परिवार दीप बनाने में जुट जाता है, जिससे समय से दीप को बनाया जा सके। इससे अच्छी आय होती है। पहले दीपावली और देव दीपावलीमें में 4 से 5 हज़ार तक की कमाई होती थी अब 15 से 20 हज़ार तक कमा लेते हैं।
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