New Delhi । केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता नीति अब आधिकारिक रूप से लागू हो चुकी है। यह नीति केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2 नवंबर, 2024 को मंजूर की गई थी और इसका पालन सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 अप्रैल, 2023 को दिए गए आदेश के तहत किया गया है।इस नीति का मुख्य उद्देश्य स्कूल जाने वाली लड़कियों में मासिक धर्म के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। क्योंकि मासिक धर्म अक्सर उनकी गतिविधियों और शिक्षा में भागीदारी को प्रभावित करता है। इस योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कियों को मासिक धर्म से संबंधित स्वच्छता सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। जिससे उन्हें सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म साधनों तक पहुंच मिलेगी। इसके साथ ही यह नीति मासिक धर्म अपशिष्ट के पर्यावरण-मित्र तरीके से निपटान को भी बढ़ावा देगी।
यह नीति उस जनहित याचिका के संदर्भ में है। जिसे कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दाखिल किया था। याचिका में कक्षा 6 से 12 तक की छात्राओं के लिए मुफ्त सैनिटरी पैड वितरण की मांग की गई है।
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि देश के 97.5% स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध हैं, और दिल्ली, गोवा, और पुडुचेरी जैसे राज्य 100% अनुपालन में हैं। इसके अलावा, सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर मासिक धर्म स्वच्छता किट का वितरण भी शुरू किया है, ताकि छात्राओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जा सके।
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