Kanpur: तीन साल बाद इसी वर्ष सितम्बर में भारत और बंगलादेश टेस्ट मैच की मेजबानी करने वाले ग्रीनपार्क स्टेडियम पर एक साल के बैन का खतरा मंडराने लगा है। इसके पीछे का कारण पिछले दिनों आईसीसी द्वारा इस स्टेडियम की आउट फील्ड को असंतोषजनक करार देना रहा है। जिसके चलते उसे एक डिमेरिट अंक दिया गया है। यदि यहां जल्द कमियांं सुधार पर रिपोर्ट आईसीसी को नहीं भेजी गयी तो वह ग्रीनपार्क स्टेडियम पर कड़ा कदम उठा सकती है। गौरतलब है कि ग्रीनपार्क स्टेडियम को इससे पहले भी वर्ष 2008 में भारत और दक्षिण अफ्रीका टेस्ट मैच के दौरान भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा था। उस समय यहां तीन दिन के अंदर मैच खत्म हो गया था और यहां की पिच को असंतोषजनक करार दिया गया था।
27 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक ग्रीनपार्क स्टेडियम में भारत और बंगलादेश टेस्ट मैच के पहले दिन केवल 35 ओवर का खेल हुआ। उसके बाद बारिश और खराब आउटफील्ड के कारण दूसरे व तीसरे दिन का खेल पूरी तरह ठप रहा। हालांकि उसके बावजूद टीम इंडिया ने ग्रीनपार्क में टेस्ट इतिहास की सबसे तेज बल्लेबाजी करते हुए बंगलादेश पर जीत हासिल की। पिछले सप्ताह आईसीसी द्वारा भारत में बंगलादेश और न्यूजीलैंंड के खिलाफ खेली गयी सीरीज को लेकर मैदान तथा आउटफील्ड की रिपोर्ट जारी की गयी। जिसमें ग्रीनपार्क की आउटफील्ड को असंतोषजनक करार दिया गया। इसके लिए आईसीसी ने ग्रीनपार्क को एक डिमेरिट अंक भी जारी कर दिया है। ऐसी स्थिति में यहां की आउटफील्ड को जल्द सुधारना बेहद जरूरी हो गया है। इसके लिए बीसीसीआई की टीम भी यहां का जनवरी तक दौरा कर सकती है क्योंकि उसे डिमेरिट अंक दिये जाने के बाद सुधार किये जाने की रिपोर्ट आईसीसी को सौंपनी होगी। अन्यथा यहां एक साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता है। हालांकि आईसीसी के नियमानुसार किसी स्टेडियम को पांच वर्ष के अंदर यदि पांच से अधिक डिमेरिट अंक दिये जाते हैं तो उस स्टेडियम को एक साल के लिए बैन कर दिया जाता है। वह भी स्टेडियम में अगर सुधार नहीं होता है तो यह समय सीमा बढ़ायी भी जा सकती है। वहीं बीसीसीआई जब तक ग्रीनपार्क की रिपोर्ट आईसीसी को नहीं सौंपेगा तब तक यहां मैच मिलने की भी कोई उम्मीद नहीं रहेगी।
वाटर ड्रेनेज सिस्टम को लगाना अब हो गया बेहद जरूरी
ग्रीनपार्क में आउटफील्ड के अंसतोषजनक करार दिये जाने के पीछे मुख्य कारण यहां पूरी तरह से ड्रेनेज सिस्टम का न लगा होना है। भारत-बंगलादेश टेस्ट मैच के दूसरे दिन भारी बारिश हुई जिसके कारण मैदान पूरी तरह से न सूखने के चलते तीसरे दिन भी एक ओवर का खेल तक न हो सका। यदि यहां ड्रेनेज सिस्टम लगा होता तो यह नौबत न आने पाती। हालांकि मैच के बाद यूपीसीए समेत बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने यहां प्रशासन से ड्रेनेज सिस्टम लगाने के लिए बात की है। जिसके लिए एक बैठक भी हो चुकी है जिसमें यूपीसीए को यहां पर ड्रेनेज सिस्टम समेत जर्जर दीर्घाओं को तोड़कर नये सिरे से बनाने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने को कहा गया है।
सालभर में होगा ग्रीनपार्क का कायाकल्प
ग्रीनपार्क स्टेडियम में पिछले दिनों आई तमाम कमियां आने वाले एक साल के अंदर दूर कर ली जायेंगी। इसके लिए काम भी शुरू हो चुका है। यूपीसीए की मीडिया कमेटी के चेयरमैन डा. संजय कपूर ने कहा कि ग्रीनपार्क स्टेडियम का कायाकल्प करना मेरी पहली प्राथमिक्ता है। यहां अत्याधुनिक ड्रेनेज सिस्टम को लगाने के लिए चेन्नई, लखनऊ समेत कई कंपनियों से बात हुई है। इसके अलावा हमारे इंजीनियर गैलरी की नई डिजाइन भी तैयार कर रहे हैं। चूकि ग्रीनपार्क राज्य सरकार के आधीन है इसलिए हम जल्द ही अपनी सभी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप देंगे, जिससे वह यहां का काम जल्द शुरू करा सके। उन्होंने कहा कि एक साल के अंदर ग्रीनपार्क स्टेडियम का कायाकल्प होना तय है।