Kanpur: अगहन मास की अष्टमी को देशभर में काल भैरवाष्टमी बड़े धूमधाम से मनायी जायेगी। कानपुर में भी 800 साल पुराने भैरव मंदिर में 128वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। जिसकी तैयारियां तेजी से चल रही हैं।
800 साल पुराना है भैरव मंदिर
कानपुर में भैरवघाट स्थित भैरव मंदिर का इतिहास 800 साल पुराना बताया जाता है। यहां भैरव जी के आठ स्वरूप विद्यमान है। इस मंदिर में भक्त वर्षों से भैरव जी को मदिरा का भोग भी लगाते हैं। मंदिर के पुजारी मायादास जी महाराज ने बताया कि यह मंदिर 800 साल पुराना है। 23 नवंबर को इस बार हम लोग यहां भैरव जी का 128वां जन्मोत्सव पूरे विधि-विधान से मनायेंगे। इस मंदिर के मुख्य पुजारी महामंडलेश्वर गोविंद दास जी महाराज है।
मंदिर में विद्यमान भैरव जी के आठ स्वरूप
भैरव मंदिर में प्रधान मूति को बटुक भैरव कहा जाता है। वहीं काल भैरव में मदिरा चढाई जाती है। इसके अलावा यहां आनंद भैरव, मशान भैरव, द्वारपाल भैरव, क्षेत्रपाल भैरव, स्वेत भैरव और गुप्त भैरव का भी स्वरूप विद्यमान है।
कभी भी कम नहीं पड़ा भंडारा
मायादास जी महाराज ने बताया कि जन्मोत्सव में भैरव जी का भव्य श्रंगार के साथ ही हवन-पूजन इत्यादि होगा। साथ ही भैरव जी को दही बड़ा व इमरती का भोग लगाया जायेगा। इसके अलावा विशाल भंडारे के आयोजन किया होगा। उन्होंने बताया कि यह भंडारा गुप्त भैरव के सामने लगाया जाता है। जिससे उनकी कृपा इस पर बनी रहे। यहां 128 वर्षों से हो रहे भंडारे में आजतक कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि भक्तगण बिना प्रसाद ग्रहण किए लौटे हो।
प्राचीन शमी वृक्ष की लकड़ी का विशेष महत्व, तुलसीदास जी भी इसी वृक्ष के नीचे करते थे भजन
मायादास जी महाराज ने बताया कि मंदिर परिसर में एक शमी का काफी प्राचीन वृक्ष लगा है। यह वृक्ष 800 साल पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि इस वृक्ष की लकड़ी से लिखा मंत्र कभी भी फेल नहीं होता। इसके अलावा इस वृक्ष के नीचे बैठकर तुलसीदास जी भी भजन किया करते थे।
प्रधानमंत्री राजीव गांधी तक यहां कर चुके दर्शन
कानपुर के प्राचीन भैरव मंदिर के दर्शन करने देश-विदेश से भक्त आते रहते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी यहां दर्शन करने आए थे। शहर में प्रत्येक रविवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
देश में शमसान घाट से जुड़ा एकमात्र भैरव मंदिर
कानपुर में भैरव मंदिर के लिए एक मान्यता यह भी है कि पूरे देश में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शमसान घाट भी साथ में है। यहां पर बना शमसान घाट शहर का सबसे बड़ा घाट है, जहां प्रतिदिन काफी लोगों का अंतिम संस्कार होता है।