Friday, November 22, 2024
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Kanpur : रामचरितमानस एक आध्यात्मिक जीवन का वास्तविक ग्रंथ है:आचार्य पीयूष

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Kanpur।श्री ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामण्डल द्वारा आयोजित श्री राम कथा के सप्तम दिवस में बोलते हुए आचार्य पीयूष जी ने कहा कि रामचरितमानस में लक्ष्मण को दो बार शक्ति लगती है और दोनों बार परमात्मा श्री राम उनकी अलग-अलग विधि के द्वारा चिकित्सा करते हैं। जब प्रथम बार मेघनाथ के द्वारा शक्ति लगती है तब श्री राम बहुत लंबी चिकित्सा विधि के द्वारा उनका इलाज करते हैं। सुषेण वैद्य का लंका से लाना और उसके द्वारा बताई गई सुदूर संजीवनी बूटी के द्वारा इलाज की व्यवस्था करना | हनुमान जी का संजीवनी बूटी का लाना और लक्ष्मण का स्वस्थ होना । इस विधा की चर्चा करते हुए आचार्य पीयूष ने उस रहस्य का उद्घाटन किया और कहा कि यह चिकित्सा एक सामान्य व्यक्ति के जीवन की चिकित्सा है क्योंकि मेघनाथ साक्षात काम का प्रतीक है और जब काम का बाढ़ किसी भी व्यक्ति के हृदय में लगता है तो उसका काम के बाण से से आहत होना स्वाभाविक है। अब काम के बाण का इलाज बहुत लंबा है। उसके लिए एक वैद्य की आवश्यकता है। वैद्य के विषय में रामचरितमानस कहता है कि सद्‌गुरु वैद्य वचन विश्वाससंगम यह न विषय की आशा और संजीवनी बूटी क्या है रघुपति भगति सजीवन मुरी अर्थात सद्‌गुरु वैद्य और उसके वचनों पर विश्वास करना फिर भगवान की भक्ति का आश्रय लेना और परमात्मा श्री राम का सानिध्य प्राप्त करना यही जीवन की सबसे बड़ी आध्यात्मिक चिकित्सा है इस विधि से लक्ष्मण के प्रथम बार लगने वाली शक्ति का इलाज किया जाता है। दूसरी बार रावण उनको शक्ति मारता है और तब भगवान श्री राम ना तो वैद्रद्य बुलाते हैं ना बूटी माँगते है। केवल लक्ष्मण के कान में एक मंत्र फूंकते हैं और कहते हैं कि ऐसे जिए जानी सुनो तुम भ्राता तुम कृतांत भक्षक सुर त्राता और यह सुनते ही लक्ष्मण उठकर बैठ जाते हैं। और रावण के द्वारा लगी हुई शक्ति आकाश में चली जाती है इन दोनों विधाओं में यह जो विधा है यह सिद्ध और साधकों की विधा है क्योंकि इस विधा में केवल जीव को उसके वास्तविक स्वरूप का ज्ञान करना ही श्रेष्ठ है। और उसकी चिकित्सा हो जाती है क्योंकि रावण साक्षात मोह का प्रतीक है मोह का इलाज केवल भगवत स्मरण या वास्तविक स्वरूप जीव का याद आना ही श्रेष्ठ है क्योंकि रामचरितमानस एक आध्यात्मिक जीवन का वास्तविक ग्रंथ है।श्री राम कथा में मुख्य यजमान ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामण्डल के उपसभापति एवं श्री रामकथा के संरक्षक पं. रमाकान्त मिश्र एवं सुमन मिश्र, कमल किशोर गुप्ता , आदित्य शंकर बाजपेयी एवं श्रीमती लक्ष्मी बाजपेयी, श्रीहरिभाऊ खाण्डेकर, सुश्री रेनू सेठ , सुभाष चन्द्र त्रिपाठी, श्रीमती पुष्पा त्रिपाठी, श्री ब्रजमोहन सिंह श्रीमती सुधा सिंह डॉ. सरस्वती अग्रवाल, विनोद दीक्षित,अमर सिंह, प्रधानाचार्या श्रीमती मन्जू शुक्ला, उपप्रधानाचार्या डॉ. अपर्णा पाण्डेय, ज्योति मिश्रा, एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।

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