Varanasi । 22,500 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर जहां पर जीवन ही संभव नहीं है। ठीक से सांस भी नहीं ली जाती, खून जम जाता है, वहां पर बीएचयू के पर जांबाज छात्रों ने तिरंगा फहराया है।पर्वत पर तिरंगा लहराने वाले छात्रों ने कहा कि जब हम इस यात्रा पर निकले थे, तब अपने परिवार के लोगों से यह बात कर नहीं निकले थे कि हम 22 हजार फीट ऊंचाई पर ट्रैकिंग करने जा रहे हैं। मन में डर था, लेकिन हमने यह ठान रखा था कि हम इस चैलेंज को पूरा करने वाले है।
उत्तराखंड के चमौली स्थित 16,500 फीट की ऊंचाई वाले रूपकुंड शिखर पर जाने वाली अंजली शर्मा ने बताया कि हर साल एक ट्रिप जरूर करना चाहिए। इससे हमारा आत्मविश्वास बूस्ट होता है। चुनौती पूर्ण समय में फैसले लेने का एक अच्छा अनुभव हमें प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जब हमें पहाड़ चढ़ने होता है, तब हम यह डिसाइड कर लेते हैं कि कहां हमें पर रहना है।
अंजलि ने बताया कि मुझे माइग्रेन की दिक्कत थी। मैं दवा लेकर गई थी। इसके अलावा हमें हमारे टीचर ने योग भी सिखाया था। योगा ने हमारी काफी मदद की। उन्होंने कहा कि जब हम पहाड़ पर चढ़ते हैं, तब हमारे पीठ पर 10 किलो का वजन रहता है।धूपगढ़ पर्वत 4,429 फीट की चढ़ाई करने वाली पूनम सोनी ने बताया कि हमें ट्रैकिंग करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया था।
लेकिन हम लोगों ने 7 दिन में अपने प्रोजेक्ट को सबमिट कर दिया। उन्होंने कहा कि जब हमने अपनी यात्रा शुरू की तब तापमान सही था लेकिन जैसे-जैसे ऊपर जाना शुरू किया तब वहां तापमान -20 डिग्री हो गया।
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