Tuesday, July 8, 2025
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UP : यूपी के प्राथमिक स्कूलों का होगा मर्जर,हाईकोर्ट ने आदेश को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाएं की खारिज

UP । उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की ओर से कम बच्चों वाले स्कूलों को मर्ज करने के एलान के बाद से प्रदेश की सियासी हलचल तेज हो गयी थी। लगातार प्रदेश की अलग अलग राजनीतिक पार्टियों की ओर से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच हाईकोर्ट में भी स्कूल मर्जर के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की गई थीं। सोमवार को लखनऊ हाईकोर्ट ने प्रदेश के 5 हजार स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार की ओर से स्कूलों के मर्जर के एलान को बच्चों के हित का बताते हुए सही ठहराया है।

 

 

 

कोर्ट ने कहा- बच्चों के हित में है सरकार का फैसला

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार की ओर से स्कूलों के मर्जर वाले आदेश के खिलाफ दाखिल हुईं याचिकाओं को खारिज करते हुए प्रदेश सरकार के इस फैसले को बच्चों के हित में बताकर सही बताया। कोर्ट का कहना है कि ऐसे ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को जबरन चुनौती नहीं दी जा सकती है जब तक वह पूर्व रूप से असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो। लिहाजा अब प्रदेश सरकार स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा सकेगी।

 

 

 

 

दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश किया था सुरक्षित

लखनऊ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच मेंजस्टिस पंकज भाटिया ने इस मामले पर दाखिल हुईं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 3 व 4 जुलाई को दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनी थीं। इस सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया के साथ साथ मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह ने कोर्ट में पक्ष रखा था।

 

 

 

 

 

सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था और सोमवार यानी आज इस मसले पर अपना फैसला सुनाने की बात कही थी। जिसके बाद कोर्ट ने सोमवार को इस सरकार के इस ऐलान के खिलाफ दाखिल हुई याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकारी फैसले को सही ठहराया।

16 जून को बेसिक शिक्षा विभाग के आदेश के बाद दाखिल हुई थीं याचिकाएं
बताते चले कि बीते 16 जून 2025 को उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के कम संख्या वाले बच्चों के नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों मर्ज करने को लेकर एक आदेश जारी हुआ था। आदेश जारी होने के बाद सीतापुर की एक छात्रा समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
इतना ही नहीं , बाद में अन्य याचिकाएं भी कोर्ट में दाखिल हुईं, जिनमें कहा गया कि सरकार का स्कूलों के मर्जर का आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून का उल्लंघन करता है। छोटे बच्चों के लिए नए स्कूल तक पहुंचना कठिन होगा।
यह कदम बच्चों की पढ़ाई में विघ्न और असमानता पैदा करेगा।वहीं, सरकार का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों को बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से मर्जर का फैसला लिया गया है।

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