ड्रम और नगाड़ों के शोर में गूंजा नारा
न तो सोएंगे और न ही सोने देंगे
Prayagraj । प्रयागराज में अभ्यर्थियों का उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रतियोगी छात्रों ने बुधवार को काला दिवस मनाया। प्रतियोगी छात्रों ने काला कपड़ा पहनकर अपना विरोध दर्ज कराया। वे मांग कर रहे हैं कि पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाएं एक दिन और एक शिफ्ट में आयोजित की जाएं। इससे पहले, ड्रम और नगाड़ों के शोर में यह नारा गूंजता रहा- जुड़ेंगे और जीतेंगे भी। अभ्यर्थियों ने नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आयोग पर तंज कसते हुए पोस्टर के जरिये पदों की रेट लिस्ट भी जारी की। आयोग के सामने दिनभर ढोल और नगाड़ों का शोर रहा। अभ्यर्थियों ने कहा कि न तो सोएंगे और न ही सोने देंगे।
प्रतियोगी छात्र का आरोप
प्रशांत का कहना है कि वह आंदोलन में सीधे शामिल नहीं हैं लेकिन उनका समर्थन है। सरकारी सेवा से रिटायर उनके पिता ब्लड प्रेशर के मरीज हैं। प्रशांत 15 साल पहले प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रयागराज आए थे। तब से घर बहुत कम जाना होता है। अगर पुलिस को कोई बात करनी थी तो सीधे उनसे संपर्क करते। परिवारों का उत्पीडऩ क्यों किया जा रहा है। वहीं, समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि अगर पुलिस ने अपना रवैया नहीं सुधार को वह पुलिस कप्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए न्यायालय की शरण में जाएंगे। पुलिस को कोई अधिकार नहीं कि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलनरत किसी भी छात्र या उसके परिवारवालों को प्रताडि़त किया जाए।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के इतिहास में पहली बार एक साथ दो परीक्षाओं के लिए आंदोलन हो रहा है। अभ्यर्थियों ने पीसीएस व आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने और नॉर्मलाइजेशन लागू करने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। 22 व 23 दिसंबर को प्रस्तावित आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 से जहां 1076004 अभ्यर्थी जुड़े हैं, वहीं सात व आठ दिसंबर को प्रस्तावित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के लिए 576154 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। इनमें कई ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने दोनों परीक्षा के लिए आवेदन किए हैं। इन दोनों परीक्षाओं के अभ्यर्थी अब एकजुट हो चुके हैं, क्योंकि कोई अभ्यर्थी नहीं चाहता कि परीक्षा दो दिन कराई जाए और नॉर्मलाइजेशन लागू हो।
इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा
यही वजह है कि आयोग पर इक_ा अभ्यर्थियों के संख्या बल के आगे फोर्स को भी पीछे हटना पड़ा है। अभ्यर्थियों को यह आशंका है कि एक बार नॉर्मलाइजेशन लागू हो गया तो यह स्केलिंग प्रणाली की तरह अभ्यर्थियों के लिए नासूर बन जाएगा और इसकी आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। आंदोलन में अन्य परीक्षाओं के अभ्यर्थी भी शामिल हैं, क्योंकि किसी भी परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या पांच लाख से अधिक होने पर नॉर्मलाइजेशन लागू करने की स्थिति आ जाएगी। पीसीएस परीक्षा में तो दिल्ली, एमपी, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार से भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं। ऐसे में दूसरे राज्यों से भी आंदोलन में शामिल होने के लिए छात्र यहां पहुंचे हैं। इसी वजह से आंदोलन ने व्यापक रूप ले लिया है और पहली आयोग के इतिहास में पहली बार एक साथ एक से अधिक परीक्षाओं को लेकर आंदोलन हुआ है।
परीक्षा सिर पर और नॉर्मलाइजेशन में उलझा मन
पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के आयोजन में एक माह से कम वक्त बचा है और आंदोलनकारी अभ्यर्थियों का मन नॉर्मलाइजेशन के चक्रव्यूह में उलझा है। इसकी वजह से दिन-रात आयोग के सामने धरना दे रहे अभ्यर्थियों की तैयारी भी प्रभावित हो रही है। सिर्फ पीसीएस ही नहीं, बल्कि आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 के अभ्यर्थियों की भी यही मनोदशा है। पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा सात व आठ दिसंबर को प्रस्तावित है और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 22 व 23 दिसंबर को होनी है। हालांकि, आयोग की ओर से यह स्पष्ट किया जा चुका है कि अभ्यर्थी किसी भ्रम में न रहे और परीक्षा की तैयारी में लगे जाएं, क्योंकि पीसीएस परीक्षा अपनी पूर्व निर्धारित तिथि सात व आठ दिसंबर 2024 को ही होगी।
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