1.20 लाख करोड़ से ज्यादा की देनदारी
New Delhi । सावरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार के लिए अब मुसीबत बन गये है। सोने की कीमत लगातार बढ़ती चली जा रही हैं। सरकार ने इस स्कीम को अब बंद कर दिया है। पुरानी स्कीम के तहत जो बांड बेचे गए थे। उनके भुगतान का समय शुरू हो गया है।
सोने की कीमतें लगातार बढ़ने से सरकार के ऊपर वित्तीय बोझ बढ़ता चला जा रहा है।सरकार को कहीं से भी राहत मिलती हुई दिख नहीं रही है। 2015 में गोल्ड इंपोर्ट बिल कम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को शुरू किया गया था।
2015 से लेकर 2024 के बीच में सरकार ने 67 किस्तों में 72,274 करोड रुपए के गोल्ड बॉन्ड जारी किए थे। 140.96 टन सोने के बराबर बांड जारी किए गए थे। सरकार ने बांड तो जारी कर दिए लेकिन सोना नहीं खरीदा था। सात किस्तों का भुगतान सरकार कर चुकी है। इसमें 16.84 टन सोने के बांड को भुनाया जा चुका है। सरकार को वर्तमान सोने की कीमत पर गोल्ड बांड का भुगतान करना पड़ा है।
130.11 टन सोने का भुगतान
सावरेन गोल्ड बांड स्कीम के अंतर्गत सरकार को 130.11 टन सोने का भुगतान भविष्य में करना है।सोने की वर्तमान कीमतों के अनुसार सरकार के ऊपर 1.15 लाख करोड रुपए की देनदारी है।
केंद्र सरकार को बांड धारकों को सोने के साथ-साथ 2.5 फीसदी वार्षिक ब्याज भी चुकाना पड़ता है। वर्तमान में 1.20 लाख करोड रुपए की देनदारी बनती है। अंतिम गोल्ड बांड का भुगतान 2032 में होगा। 2025 से 2032 के बीच में सोने की कीमतें जिस अनुपात में बढ़ेगी। उसके साथ ही सरकार की देनदारी और भी बढ़ेगी।
सावरेन गोल्ड बॉन्ड अब सरकार के लिए भारी मुसीबत बन गए हैं। आर्थिक मंदी और आर्थिक संकट के इस दौर में सरकार के ऊपर ऐसे समय पर यह भार पड रहा है। जब सरकार को राहत की जरूरत थी। उस समय मुसीबत बढ रही है।