Mumbai: जैनों के पावन तीर्थ पालिताना में 23 नवम्बर की सुबह एक अविस्मरणीय शुभ अवसर का साक्षी बनेगा—परम पूज्य पन्यास श्री लब्धिवल्लभ विजयजी महाराज को आचार्य पद प्रदान किया जाएगा। यह अद्वितीय कार्यक्रम पालिताना स्थित सिद्धवड महातीर्थ की पावन भूमि पर आयोजित होगा।परम पूज्य पन्यास भगवंत श्री लब्धिवल्लभ विजयजी महाराज वर्तमान में 37 वर्ष के हैं, किंतु उन्होंने मात्र आठ वर्ष की अल्पायु में दीक्षा ग्रहण की थी।
उनके दीक्षा-पर्याय को अब 29 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इतनी कम उम्र में आचार्य पद प्रदान करने का यह सौभाग्य आचार्य श्रीमद् विजय रश्मीरत्नसूरिश्वरजी महाराज साहेब के वर्ध हस्तों से सिद्धवड तीर्थभूमि पर सम्पन्न होगा।पन्यासप्रवर लब्धिवल्लभ विजयजी महाराज ने अपना साधु-जीवन अत्यंत मर्यादित संपर्क, संघ-कल्याण की सूक्ष्म निष्ठा और अध्ययन के प्रति अडिग भावना के साथ व्यतीत किया है। उनके जीवन में व्यक्ति नहीं, बल्कि संकल्प प्रमुख रहा है, और प्रसिद्धि से अधिक शांति व कार्यशीलता देखने को मिलती है।आचार्य पद प्रदान का यह शुभ अवसर 200 से अधिक साधु–साध्वी वृंद की निश्रा में आयोजित होगा।
इस अवसर के साक्षी बनने के लिए गुरु-भक्तों की भारी उपस्थिति रहने की संभावना है। समारोह की सूचना मिलते ही श्रावक-श्राविकाओं, उपासकों और संघजनों के हृदय में भद्रभाव और आदर की लहर दौड़ पड़ी है। यह पूरा समारोह शांति, शिस्त और गुरु परंपरा की गौरवमयी नम्रता के साथ सम्पन्न होगा।
हालाँकि आचार्य पद-ग्रहण का मुख्य अवसर 23 नवम्बर को है, पर 22 नवम्बर की सुबह छह बजे ओपन स्काई मेडिटेशन (ध्यान) का कार्यक्रम होगा। इसके बाद सुबह नौ बजे लब्धिवल्लभ विजयजी महाराज के जीवन-वैराग्य के ‘*एक अनजाने पहलू’ से आराधकों को अवगत कराया जाएगा। शाम सात बजे ‘नमो आयरियाणं’ कार्यक्रम के माध्यम से आचार्य भगवंतों का महिमागान किया जाएगा।
शत्रुंजय गिरिराज की पावन पृष्ठभूमि में आचार्य पद-ग्रहण का यह ऐतिहासिक और मंगलमय अवसर 23 नवम्बर की शाम ठीक चार बजे सम्पन्न होगा। लब्धिवल्लभ विजयजी महाराज प्रखर वक्ता हैं और अपनी वाणी व विचारों से आराधकों की आँखें नम कर देने के लिए जाने जाते हैं।


