Lucknow । उत्तर प्रदेश में पुलिस कितनी बेअंदाज है, इसका अंदाजा पूर्व आईपीएस के साथ हुई बदसलूकी से लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं इस मामले में मानवाधिकार आयोग पर भी घोर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। जिस पर हाई कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग और यूपी सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल, पूरा मामला साल 2021 के अगस्त महीने का बताया जा रहा है। जब पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को राजधानी की पुलिस खींच कर हजरतगंज थाने ले गई थी। इस मामले में पूर्व आईपीएस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग पर भी लापरवाही का आरोप लगा है। जिस पर हाई कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। जस्टिस राजन राय तथा जस्टिस बृजराज सिंह की पीठ ने यह आदेश याची की अधिवक्ता डॉ नूतन ठाकुर, राज्य सरकार के अधिवक्ता तथा आयोग के अधिवक्ता शिखर आनंद को सुनने के बाद जारी किया। याचिका में कहा गया है कि मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में स्वयं मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े तमाम सबूत पाए लेकिन आयोग ने स्पष्ट निष्कर्ष निकालने की जगह अमिताभ ठाकुर को सीजेएम कोर्ट जाकर मुकदमा दर्ज करने की बात कही।
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