प्रतिबंध के साथ ही मुकदमों का खतरा रहेगा
Karachi। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने अभी तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) चैंपियंस ट्रॉफी के हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार नहीं किया है। उसने चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट से हटने की धमकी दी है पर उसके लिए ऐसा करना आसान नहीं रहेगा। अगर वह इससे हटता है तो उसे भारी नुकसान होगा। इसके अलावा आईसीसी उसपर पाबंदी भी लगा कसता है। इसके साथ ही उसे मुकदमों का भी सामना कर पड़ सकता है जो वह नहीं चाहेगा।
वहीं एक अधिकारी ने कहा ,‘‘पाकिस्तान ने न केवल आईसीसी के साथ मेजबानी से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, बल्कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले अन्य सभी देशों की तरह उसने आईसीसी के साथ सदस्यों की अनिवार्य भागीदारी से संबंधित समझौते (एमपीए) पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आईसीसी के टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए एमपीए पर हस्ताक्षर करने के बाद ही कोई सदस्य देश आईसीसी प्रतियोगिताओं से होने वाली कमाई का हिस्सा पाने का अधिकारी होता है। सबसे अहम बात किया है कि आईसीसी ने अपनी सभी प्रतियोगिताओं के लिए प्रसाराकें से समझौता किया है जिसमें उसने गारंटी दी है कि चैंपियंस ट्राफी सहित आईसीसी की प्रतियोगिताओं में उसके सभी सदस्य देश भाग लेंगे।
आईसीसी पिछले सप्ताह हुई बैठक में चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन हाइब्रिड मॉडल से करवाने पर सहमति हासिल करने में सफल रहा था। इसके अनुसार भारत अपने मैच दुबई में खेलेगा। इसके अलावा आईसीसी की 2027 तक होने वाली प्रतियोगिताओं में यह व्यवस्था बरकरार रहेग। इसकी हालांकि अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।
अगर यह समझौता हो जाता है तो इसका मतलब होगा कि पाकिस्तान 2027 तक होने वाली आईसीसी प्रतियोगिताओं के लिए भारत का दौरा करने के लिए बाध्य नहीं होगा। वहीं अगर पीसीबी चैंपियंस ट्रॉफी से हटता है तो आईसीसी और यहां तक कि आईसीसी कार्यकारी बोर्ड में शामिल अन्य 16 सदस्य देश भी उसके खिलाफ मुकदमा कर सकते हैं।
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