मेहनत की कमाई ने जगाई उम्मीद, 36 हजार का चेक मिला
Kanpur ।स्वतंत्रता दिवस के ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम के अंतर्गत आज जिला कारागार में कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने साबित कर दिया कि सलाखों के पीछे भी उम्मीद की किरणें जगाई जा सकती हैं। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने महिला बंदियों के बीच पहुंचकर न केवल आज़ादी का पर्व साझा किया, बल्कि उनके भविष्य को नई दिशा देने की ठोस पहल भी की।जिलाधिकारी की कोशिशों से अचिन्त्य चैरिटेबल फाउंडेशन ने महिला बंदियों के लिए चार सिलाई मशीनें उपलब्ध कराईं।
इन्हीं मशीनों पर महिला बंदियों ने 120 शूट तैयार किए, जिन्हें उनके बीच वितरित किया गया। इस मेहनत का उन्हें 36 हजार रुपये का सम्मानजनक मेहनताना भी मिला। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि जेल केवल सजा काटने का स्थान नहीं है, बल्कि सुधार और पुनर्वास का अवसर है।अब आरसेटी भी महिला बंदियों की स्किल डेवलपमेंट की जिम्मेदारी उठाएगा। ब्यूटी पार्लर, सिलाई और अन्य हुनर की ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई जाएगी।
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद प्रमाणपत्र भी मिलेगा, जिससे बाहर आने पर बैंक से ऋण लेने में आसानी होगी और नए जीवन की शुरुआत की जा सकेगी। जिलाधिकारी ने बैरक में बने ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण स्थल का उद्घाटन भी किया।अचिन्त्य चैरिटेबल फाउंडेशन की अध्यक्ष दिशा अरोड़ा ने कहा कि जिलाधिकारी की पहल से महिला बंदियों के हित में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। पार्लर एवं मेकअप ट्रेनिंग 25 अगस्त से प्रारंभ होगी। पार्लर व मेकअप के सभी उपकरण, सामान तथा पार्लर चेयर आज उपलब्ध कराई गई। कारागार अधीक्षक डॉ. बी.डी. पाण्डेय ने बताया कि महिला बंदियों के स्वरोजगार से जुड़ी गतिविधियों को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाया जाएगा।
जिलाधिकारी ने महिला बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि जेल की अवधि को व्यर्थ न जाने दें, इसे हुनर सीखने और नया जीवन गढ़ने का अवसर बनाएं। उनकी इस प्रेरणा ने महिला बंदियों के चेहरों पर उम्मीद की चमक ला दी। इस दौरान तिरंगा गुब्बारे को भी आकाश में छोड़ा गया और महिला बंदियों ने अपने गीतों से माहौल को देशभक्तिपूर्ण कर दिया। इस अवसर पर उपायुक्त उद्योग अंजनीश प्रताप सिंह, एलडीएम आदित्य कुमार सहित जेल प्रशासन से जुड़े विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।