Kanpur ।ऋषि चैतन्य विज़न,के द्वारा मोतीझील प्रांगण में आयोजित चार दिवसीय भक्ति, योग व ज्ञान की अमृत वर्षा के दूसरे दिन पूज्य गुरुमाँ ने मंगलाचरण के बाद सत्संग का शुभारंभ एक प्रार्थना से किया “प्रभु तू याद आता क्यों नहीं है ?” आज के मनुष्य के पास व्यस्त जीवन में ईश्वर स्मरण का वक्त ही नहीं है।
इसलिए हर रोज सुबह आपकी जहां भावना है. मंदिर में अथवा किसी गुरुद्वारे में जरूर जाया करो, अपने बच्चों को भी साथ लेकर जाया करो। दिन भगवन स्मरण से शुरू हो. बाद में जो भी दिनचर्या हो उसे पूरा करें।
पूज्य गुरुदेव आनन्दमूर्ति गुरु माँ ने महिलाओं के लिए भी विशेष संदेश दिया।
महिलाओं के लिए प्राकृतिक रूप से प्रसव हेतु योग आसन अति आवश्यक हैं। यदि कोई रोग अथवा मेडिकल इमरजेंसी न हो तो महिलाओं को सी सेक्शन डिलीवरी नहीं करवानी चाहिए। इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती है।
गुरुदेव ने हमारा आहार विहार कैसा हो, उसके अनेक सूत्र श्रोताओं के साथ सांझा किए। घर में बना हुआ खाना खाएं। जीभ के स्वाद के लिए स्वच्छता और शुद्धता को नजरअंदाज न करें। जब भूख नैसर्गिक रूप से लगे तभी भोजन करें। हल्का खाएं हो सके तो दिन में दो बार ही खाएं। स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक श्रीधान्य मिलेट को अपने आहार में सम्मिलित करें।
आपकी दिनचर्या में यदि ईश्वर स्मरण योग, प्राणायाम, शास्त्र अध्ययन के लिए समय नहीं है तो जीवन व्यर्थ है। अच्छे से योग आसन किसी आचार्य की निरीक्षण में सीखें और फिर रोज करें। सुबह कम से कम 20 मिनिट कपालभाति प्राणायाम करें। यह आपके व्यक्तित्व को ओजस्वी बना देगा। सोने से पहले 20 मिनट नाड़ी शोधन क्रिया करें, आपकी नींद भी गहरी और बढ़िया हो जाएगी। दीर्घ श्वास लेने का अभ्यास करें। शंख बजाना भी श्वास लंबा करने की एक प्रक्रिया है। फिर शांत हो कर बैठ जाएं, अपने इष्ट का ध्यान करें और मंत्र साधना में प्रवेश करें।
बिगड़े मन से साधना नहीं होगी। मन को श्वास से ही नियंत्रित किया जाता है। इसलिए दीर्घ श्वास के अभ्यास से मन की लगाम को कसो। साधना के भोजन से मन का पेट भरो। मन और शरीर स्वस्थ होंगे तभी जीवन का युद्ध लड़ पाओगे।
इस युद्ध में तुम अकेले नहीं हो अकेले हो भी नहीं सकते क्योंकि सर्वव्यापी ईश्वास तो सदा तुम्हारे साथ हैं। यह हमारे ऋषियों का अमूल्य ज्ञान है. इन सूत्रों को जीवन में लाकर अपने जीवन