Monday, August 4, 2025
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Kanpur : कानपुर में चला अतिक्रमण पर हंटर: आमजन राहत में, रोज़ी-रोटी वालों की चिंता बरकरार

Kanpur । नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने आज शहर के प्रमुख क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान की मुहिम तेज़ करते हुए सड़कों को ‘स्वच्छ और सुगम’ बनाने की दिशा में कड़ा कदम उठाया। परंतु इस मुहिम की आड़ में रोज़मर्रा की जीविका चलाने वाले सैकड़ों छोटे दुकानदारों, ठेलेवालों और फेरीवालों की ज़िंदगी में असमंजस की लहर दौड़ गई है।

 

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अभियान का संचालन बड़ा चौराहा, कचहरी, हरजेन्दर नगर, किदवई नगर, कंपनी बाग, गोविंद नगर व गीता नगर क्रॉसिंग जैसे इलाकों में हुआ -जहाँ सड़कें अकसर अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम के लिए बदनाम रही हैं। पुलिस और नगर निगम की टीमें सुबह से ही सक्रिय हो गईं। औसतन 1.5 सेक्शन बल की मौजूदगी में कार्रवाई शांतिपूर्ण रही, लेकिन कई छोटे कारोबारियों की दुकानें, अस्थायी ठेले व प्लास्टिक शेड्स हटा दिए गए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रशासन का कहना है कि यह कदम ‘स्मार्ट सिटी कानपुर’ की दिशा में आवश्यक है। नगर आयुक्त के अनुसार, “यह महज़ एक दिन की कार्रवाई नहीं, बल्कि एक सतत अभियान है जो शहर को व्यवस्थित व सुरक्षित बनाएगा।

 

 

 

 

लेकिन मैदान से एक अलग आवाज़ भी आ रही है। शनि मंदिर के पास वर्षों से चाट का ठेला लगाने वाले रामनिवास कहते हैं, “हम कोई ज़मीन कब्जा नहीं किए थे, सिर्फ़ शाम को काम शुरू करते थे। अब ना ठेला है, ना रोज़ की कमाई। कोई विकल्प भी नहीं बताया गया।

 

 

 

 

 

 

 

इसी तरह हरजेन्दर नगर की रुखसाना बीबी, जो फुटपाथ पर बेल्ट और क्लिप बेचती थीं, कहती हैं, “दुकानें तुड़वा दीं, पुलिस ने पूछा भी नहीं कि हमारी रोज़ी कहाँ से चलेगी। हम क्या करें अब?”

 

 

 

 

 

 

विशेषज्ञों का मानना है कि अतिक्रमण हटाना ज़रूरी है, लेकिन इससे पहले एक वैकल्पिक पुनर्वास नीति लागू की जानी चाहिए। क्योंकि सड़कें साफ़ होने से जितना लाभ यातायात को होता है, उतना ही नुक़सान उन लोगों को होता है जिनका जीवन सड़क के किनारे बसा है।

 

 

 

 

यह सवाल भी उठता है कि क्या यह अभियान स्थायी सुधार ला पाएगा? क्या कुछ ही हफ्तों में वही सड़कें फिर से जाम और अव्यवस्था की चपेट में नहीं आ जाएंगी?

 

 

 

एक ओर प्रशासन शहर को ‘स्मार्ट’ और ‘सुव्यवस्थित’ बनाने की दिशा में गंभीर दिखता है, वहीं दूसरी ओर छोटे व्यापारियों और असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। ज़रूरत है एक संतुलित नीति की — जिसमें न केवल शहर की सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए, बल्कि उन लोगों के लिए भी वैकल्पिक आजीविका की व्यवस्था हो जिनकी जीविका फुटपाथों से जुड़ी है।

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