PARPANCH NEWS: Chitrakoot में प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और रामचरितमानस के व्याख्याता मोरारी बापू ने 4 से 6 नवंबर तक चित्रकूट धाम में आयोजित रामायण कथावाचक रामकिंकरजी महाराज के शताब्दी समारोह में उन्हें श्रद्धांजलि दी। रामकथा परंपरा में “युग तुलसी” के नाम से प्रसिद्ध रामकिंकरजी महाराज के सनातन धर्म में योगदान को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के उपरांत प्रमुख आध्यात्मिक दिग्गजों की मौजूदगी में याद किया गया।
समारोह के समापन दिवस पर मोरारी बापू ने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए चित्रकूट का महत्व दर्शाते हुए कहा, ” चित्रकूट की पवित्र भूमि द्वारा रामकिंकरजी महाराज के शताब्दी समारोह की मेजबानी यथायोग्य है। राष्ट्रपुरुष मोहन भागवत, आपकी उपस्थिति ने इस पवित्र सभा को और अधिक प्रबुद्ध किया है। मैं देश के प्रति आपकी भक्ति के आगे नतमस्तक हूं। साधु किसी की प्रतिष्ठा के आगे नहीं, बल्कि निष्ठा के आगे झुकता है।” मोरारी बापू ने उपस्थित अनेक प्रतिष्ठित संतों और साधुओं का हार्दिक स्वागत किया और समकालीन जीवन में आध्यात्मिकता के महत्व पर जोर दिया।
महाभारत की शिक्षाओं का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “कुरुक्षेत्र युद्ध के बीच भगवान कृष्ण द्वारा दी गई दिव्य दृष्टि केवल अर्जुन के लिए नहीं, बल्कि सभी भारतीयों के लिए थी।”
उन्होंने सनातन धर्म की उत्पत्ति और निरंतर विकास तथा भारतीय संस्कृति के आधारभूत मूल्यों के बारे में अपने विचार भी रखे। बापू ने कहा, “मैंने अपने 79 वर्षों में देखा है कि सबल होने के बाद भी सरल बने रहना केवल साधुओं की संगति से ही संभव है।” उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वेदों की इस भूमि में करुणा धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
मोरारी बापू ने रामकिंकरजी महाराज से उनकी कईं बार की मुलाकातों के बारें में बात करके यादों को ताज़ा की । उन्होंने बड़े प्यार से उन्हे याद करते हुए कहा, “मेरे विचार से, रामकिंकरजी महाराज का पहला तत्व विश्वास था, उसके बाद विचार , राजसी रूप, विराग और विनोद। वे एक महान आत्मा थे।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे रामकिंकरजी महाराज की स्मृति में चित्रकूट में रामकथा का आयोजन करेंगें।
कार्यक्रम के दौरान, मोरारी बापू और मैथिलीशरण महाराज ने महामंडलेश्वर संतोषदासजी महाराज, स्वामी श्रवणानंदजी महाराज और लोक गायिका मालिनी अवस्थी सहित प्रतिष्ठित हस्तियों को श्री रामकिंकर भारत भूषण सम्मान प्रदान किया। श्री रामकिंकर विचार मिशन द्वारा प्रदान किया जाने वाला यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को सम्मानित करता है जिन्होंने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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