प्रयागपुत्र राकेश शुक्ला की श्रद्धालुओं से अपील, महाकुम्भ पर्व है इसे मेला
Mahakumbh । मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत महाकुम्भ महज एक मेला नहीं, बल्कि करीब 2 माह तक चलने वाला एक महापर्व है। देश और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इस पर्व के विषय में जानना अति आवश्यक है, ताकि वह महाकुम्भ के महात्म्य को समझ सकें और अधिक से अधिक इसका लाभ प्राप्त कर सकें।
प्रयागराज में प्रयाग पुत्र के नाम से फेमस राकेश कुमार शुक्ला ने महाकुम्भ को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ डिजिटल डिटॉक्स होने और पतित को पावन बनाने का पर्व है। उन्होंने कुम्भ पर लिखी अपनी कॉफ़ी टेबल बुक में भी प्रमुखता से इसका उल्लेख किया है।
*रील की बजाय रियल जीवन जीना ही कल्पवास का उद्देश्य*
मेला विशेषज्ञ और 2019 कुम्भ में केंद्र सरकार के विशेष सलाहकार रहे राकेश कुमार शुक्ला ने कहा कि कुम्भ पर्व है, इसे मेला ना बनाएं। कुम्भ को चार हिस्सों में बांटा गया है। पहला आध्यात्मिक परिकल्पना, दूसरा प्रबंधन, तीसरा अर्थव्यवस्था और चौथा वैश्विक भागीदारी। हर श्रद्धालु के लिए यह जानना आवश्यक है कुम्भ क्या है, क्यों मनाया जाता है और कैसे मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस धरती का एकमात्र धर्म सनातन वैदिक हिन्दू धर्म है, जिसका उद्देश्य नर सेवा, नारायण सेवा के भाव के साथ मानव मात्र का कल्याण करना है।
इसका विचार ऋषि मुनियों के सत्संग से शुरू होता है। महाकुम्भ को ऋषि और मुनि ही मिलकर बनाते हैं। मानव के लिए इसका एक ही उद्देश्य है कि व्यवसाय में धर्म होना चाहिए ना कि धर्म का व्यवसाय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1 मिनट की रील की बजाय रियल जीवन जीना ही यहां कल्पवास का उद्देश्य है। उन्होंने महाकुम्भ को ईश्वरीय संविधान की शक्ति से चलने वाला महत्वपूर्ण पर्व बताया।