आज की कथा प्रसंग में ” संत कबीर दास की त्याग ,सर्वत्र ईश्वर दर्शन पर हुआ व्याख्यान..
Kanpur ।कृपाधाम मंदिर में चल रही भक्त कल कथा के चतुर्थ दिवस स्थान ( इंडस्ट्रियल स्टेट कालपी रोड कानपुर अमर उजाला के निकट )कृपा धाम मंदिर प्रांगण में आयोजित होने वाली पंच दिवसीय ( संगीतमय भक्तमाल कथा ) में सायं काल कथा शुभारंभ से पूर्व आयोजक संयोजक सुनील कपूर सपना कपूर , राजीव चतुर्वेदी , गुड़िया चतुर्वेदी, द्वारा व्यास पीठ का पूजन किया गया ।
तदउपरांत आज कि भक्तमाल कथा में सुप्रसिद्ध रामकथा वाचक एवं भागवताचार्य ” आचार्य श्री कृष्ण गोपाल सुवेदी ” जी* ने भक्तमाल के कथा प्रसंग में आज भक्तराज श्री रामदास जी से नियम निष्ठा का दर्शन, “श्री रैदास जी से तन से ज्यादा मन की शुचिता( शुद्धि का दर्शन ) ” श्री माधवदास जी से ईश्वर से एकात्म मित्र भाव का दर्शन , और श्री कबीर दास जी से क्षमा ” त्याग के साथ सर्वत्र ईश्वर दर्शन का सिद्धांत पर व्याख्यान किया ।
कथा व्यास गोपाल सुवेदी ने कहा कि आदर्श प्रेम, निःस्वार्थ, निश्छल प्रेम-भक्ति, पूर्ण समर्पण भाव, एकनिष्ठ समर्पण, एकाग्र चित्त से एक लक्ष्य में मन को विलीन करना, चित्त की शुद्धता इत्यादि वे जीवन मूल्य हैं जो हमें मीराबाई के जीवन से सीखने को मिलती है।
कथा प्रवचन के मध्य कथा व्यास सुवेदी जी के श्री मुख से मीरा बाई के पदों को जब संगीत लय में जब
*बसो मेरे नैनन में नंदलाल। मीरा प्रभु संतन सुखदाई, भक्त वत्सल गोपाल।
भजन सुनाया तो प्रांगण में बैठे श्रोतागण भक्ति में सराबोर झूम उठे । उन्होंने कहा की जिस प्रकार कीट भृंगी के बारे में चिंतन करते करते उसी के आकार का हो जाता है उसी प्रकार यदि चित्त की प्रशांत वाहिता अवस्था में मन को किसी भी क्षेत्र में पूर्णतया लगा देने से व्यक्ति के अंदर उसी प्रकार के गुण विकसित होने लगते हैं।
मीराबाई ने अपना सर्वस्व ठाकुर जी को समर्पित कर दिया था। यह निःस्वार्थ निश्छल प्रेम-भक्ति की पराकाष्ठा थी। अतः मीराबाई दिव्यता में एकनिष्ठ मन को समर्पित करने से स्वयं भी दिव्य हो चुकीं थीं। और कदाचित यही उनके जीवन भक्ति की सफलता थी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से कथा संयोजक सुनील कपूर सपना कपूर , प्रमुख आचार्य प्रमोद तिवारी , प्रधान सेवक राजीव चतुर्वेदी , मीडिया प्रभारी पंडित कमल मिश्र एवं मंदिर सभी सेवक सहित कार्यकर्ता गण मौजूद रहे ।