Kanpur ।जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बेनाझाबर स्थित कंपोजिट विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। शनिवार का दिन होने के कारण विद्यालय में मीना मंच की गतिविधियाँ आयोजित थीं, जिसमें जिलाधिकारी स्वयं अध्यापक की भूमिका में शामिल हुए।
उन्होंने बच्चों को सहज भाषा में जेंडर इक्वालिटी, यानी लैंगिक समानता का पाठ पढ़ाया और बताया कि लड़का-लड़की में कोई भेद नहीं होता, जो मेहनत करता है, वही आगे बढ़ता है।
बच्चों से संवाद करते हुए उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि आज लड़कियाँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। कोई वैज्ञानिक बन रही है, कोई डॉक्टर, इंजीनियर या प्रशासक। उन्होंने यह भी कहा कि देश की राष्ट्रपति एक महिला हैं।
जो इस बात का प्रमाण है कि प्रतिभा का लिंग से कोई संबंध नहीं होता। उनके अनुसार मीना मंच के माध्यम से बच्चों को घर और समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने की सीख मिलती है, जो उनके चरित्र निर्माण में सहायक होती है।
अभिभावकों से संवाद कर शैक्षिक गुणवत्ता पर लिया फीडबैक
जिलाधिकारी ने प्रधानाध्यापक सीमा साहू से छात्र संख्या, शिक्षकों की स्थिति और उपस्थिति की जानकारी ली। विद्यालय में कुल 132 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं, जिनमें से आज 88 उपस्थित रहे। विद्यालय में आठ शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें तीन शिक्षामित्र और पाँच सहायक अध्यापक शामिल हैं।
डीएम ने मिड डे मील की व्यवस्था की भी समीक्षा की। बताया गया कि भोजन की आपूर्ति अक्षय पात्र फाउंडेशन द्वारा की जाती है। बच्चों से बातचीत में उन्होंने जाना कि आज छोले और चावल परोसे गए हैं, और सभी बच्चे भोजन से संतुष्ट हैं। जिलाधिकारी ने विद्यालय में पेयजल, शौचालय, रैंप और स्वच्छता की व्यवस्था की भी जानकारी ली।
इसके साथ ही उन्होंने एक छात्र के अभिभावक सागर अवस्थी से संवाद कर विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता पर फीडबैक प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि यह विद्यालय पढ़ाई, अनुशासन और माहौल के लिहाज से निजी विद्यालयों से बेहतर है। जिस कारण से उन्होंने अपने बच्चे का इसी विद्यालय में प्रवेश कराया है।
डीएम ने एक अन्य अभिभावक से पूछा कि विद्यालय में पढ़ाई कैसी होती है, तो उन्होंने बताया कि पढ़ाई अच्छी होती है और शिक्षक समय से आते हैं।
क्या है मीना मंच
मीना मंच उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से संचालित एक रचनात्मक पहल है, जो परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बालिकाओं के आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और जीवन कौशल को विकसित करने का माध्यम है।
इसका नाम यूनिसेफ की पात्र ‘मीना’ से लिया गया है, जो बाल अधिकारों और समानता की प्रतीक मानी जाती है। परिषदीय विद्यालयों में शनिवार को इसका आयोजन किया जाता है। इस मंच के ज़रिए बालिकाएं विद्यालय और समुदाय में अपनी बात खुलकर रखती हैं तथा शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य, पोषण, किशोरावस्था और लैंगिक समानता जैसे विषयों पर संवाद करती हैं। मीना मंच विद्यालयों को अधिक समावेशी और संवेदनशील वातावरण देने में सहायक है।