413 रनों के रिकॉर्ड स्कोर के बाद फाइनल में भी हुआ 300 का आंकड़ा पार
Kanpur । लंबे समय से ग्रीन पार्क स्टेडियम में लाल मिट्टी की पिच बनाने की कवायद चल रही है लेकिन यहां बनी काली मिट्टी की पिचें हमेशा की तरह हिट रही हैं। पिछले वर्ष भारत-बंगलादेश टेस्ट मैच में ढाई दिन बारिश में धुलने के बावजूद रोहित शर्मा की ब्रिगेड ने ऐसी आतिशी बल्लेबाजी खेली कि वह टेस्ट इतिहास की सबसे तेज पारी बन गयी।
वहीं अब भारत और आस्ट्रेलिया ए के बीच खेली गयी तीन वनडे मैचों की सीरीज में भी यहां की काली मिट्टी की पिचों पर रनों की जमकर बरसात हुई।देश के दक्षिण प्रांत में लाल मिट्टी की बहुतायत होने के चलते इस समय उत्तर भारत में भी इन पिचों को बनाने की वकालत काफी तेजी से चल रही है। ग्रीनपार्क में भी कई वर्षों से लाल मिट्टी की पिच बनाने की कवायद जारी है हालांकि अभी तक इसका निर्माण नहीं हो पाया है।
बावजूद शारजहां तक जाने वाली यहां की काली मिट्टी अभी भी अपने अस्तित्व को बरकरार रखे हुए है और ऐसे शानदार परिणाम देती आई है कि हजारों दर्शक उसकी तारीफ करते नहीं थकते।ग्रीनपार्क के मैदान के पुरोधा व पिच क्यूरेटर शिवकुमार बताते है कि पहले यहां की पिचों पर 250 रन बनना भी काफी अच्छा माना जाता था लेकिन अब हालात बदल गये हैं। उन्नाव से आने वाली काली मिट्टी की पिचों पर थोड़े प्रयोग करने से अब यहां 400 का आंकड़ा भी अछूता नहीं रहा।
यह दर्शाता है कि इन पिचों का मुकाबला लाल मिट्टी कभी नहीं ले पायेगी। उन्नाव में काली मिट्टी के स्त्रोत खत्म होने के बाद अब इसका विकल्प तलाश लिया गया है। उरई, झांसी के अलावा पूर्वांचल में वाराणसी के आसपास भी नमूने पास हुए हैं। हम इन्हीं विकेटों को ही वरीयता देते रहेंगे।