Kanpur: उत्तर प्रदेश के तेज गेंदबाज अंकित राजपूत ने सोमवार को अचानक क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। अंकित के इस फैसले के पीछे यूपीसीए द्वारा आज घोषित हुई विजय हजारे ट्राफी की टीम में स्टेण्ड बाई में स्थान दिया जाना माना जा रहा है।
यूपीसीए के इस फैसले से अंकित भी आहत हैं, हालांकि उन्होंने इस पर कोई भी टिप्पणी न करते हुए कहा कि यह उनका निजी फैसला है। उन्हें उम्मीद थी कि वह टीम में स्थान हासिल करेंगे लेकिन ऐसा संभव न हो पाया जिसके बाद उन्होंने भारी मन से यह कदम उठाया है। अंकित ने अपने संन्यास की घोषणा एक्स (पहले टि्वटर) पर की है। जिसमें उन्होंने उन सभी को धन्यवाद दिया है, जिन्होंने क्रिकेट के उनके सफर में योगदान दिया।
कानपुर के इस प्रतिभावान खिलाड़ी ने इंडिया-ए के अलावा आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स, चेन्नई सुपरिकंग्स, किंग्स इलेवन पंजाब, कोलकाता नाइटराइडर्स, लखनऊ सुपरजायंट्स, यूपी टी-20 लीग के अलावा वर्षों तक उत्तर प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व किया है। वह यूपी टीम के कप्तान भी रह चुके हैं। अंकित ने अपने कैरियर में 80 फर्स्ट क्लास मैचों में 248, 50 लिस्ट ए मैचों में 71 तथा 87 टी-20 मैचों में 105 विकेट लिए हैं। रणजी के इस सीजन में वह शुरुआती मैचों में इंजर्ड हो गये थे, जिसके बाद वह कुछ समय पहले ही फिट होकर लौटे थे।
अंकित के इस कदम के बाद एक बार फिर यूपीसीए की चयन प्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सीनियर टीम की नाकामी के चलते ही यूपीसीए को रणजी में आर्यन जुयाल, टी-20 में भुवनेश्वर और आज वनडे टीम के लिए रिंकू सिंह को कप्तान बनाना पड़ा है। आज घोषित टीम में कई नाम ऐसे शामिल किये गये हैं, जो बिना किसी प्रदर्शन के शामिल किये गये हैं। दूसरा 19 सदस्यीय टीम के बावजूद पांच नेट बॉलर और चार स्टेण्ड बाई खिलाड़ी को रखे जाना जुगाड़ वाले खिलाड़ियों को अंदर करने की ओर इशारा कर रहा है।
सूत्रों की माने तो टीम में एक खिलाड़ी ऐसा भी है, जो बिना यूपीसीए के रजिस्ट्रेशन से खेला। इसी को देखते हुए यूपीसीए दिसंबर से ही नये सत्र के रजिस्ट्रेशन शुरू करने जा रहा है। वहीं रविवार रात जब विजय हजारे ट्राफी के लिए टीम मंथन चल रहा था उस समय यूपीसीए के एक बड़े पदाधिकारी ने भी दखल दिया। जो पहले भी हस्तक्षेप कर अपने छोटे से जिले के खिलाड़ियों को टीम में रखवाने के लिए अडयिल रवैया अपनाते आए हैं। सीनियर टीम के बनाये गये नये डायरेक्टर के हस्ताक्षर से टीम घोषित करना भी इसमें शामिल रहा।