PARPANCH NEWS: India में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 6.2 फीसदी हो गई, जो पिछले 14 महीनों में सबसे ऊंचा स्तर है। इससे पहले सितंबर में महंगाई दर 5.5 फीसदी थी। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण सब्जियों, फलों और खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतें हैं। यह वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मौद्रिक नीति में ढील देने की संभावना को टाल सकती है, जबकि अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत भी मिल रहे हैं।
महंगाई दर का यह उच्चतम स्तर आरबीआई के 4 फीसदी के लक्ष्य से बाहर हो गया है, साथ ही 2 फीसदी के सहनशीलता बैंड से भी बाहर है। अगस्त 2023 के बाद यह पहली बार है। इस बढ़ी महंगाई दर का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा है, जहां मंगलवार को बाजार 1फीसदी गिरकर बंद हुआ था। महंगाई के आंकड़े बाजार बंद होने के बाद जारी किए गए, जिससे आर्थिक माहौल और भी अस्थिर प्रतीत हो रहा है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4-6 दिसंबर होना है। आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि अक्टूबर में महंगाई 6 फीसदी से ऊपर पहुंचने के बाद और क्यू3 2025 के एमपीसी अनुमान से 60-70 बेसिस पॉइंट ज्यादा रहने की संभावना को देखते हुए दिसंबर की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना नहीं है। इस स्थिति में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की जा सकती है, जो भारत में लोन की ईएमआई पर असर डाल सकता है।
इसके पहले आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास ने साफ कहा था कि फिलहाल होम लोन और ऑटो लोन पर ईएमआई में कोई कमी नहीं की जाएगी। आरबीआई ने पिछले दो सालों में ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की है। अक्टूबर की मौद्रिक नीति बैठक में कुछ बदलाव की उम्मीद जताई थी लेकिन आरबीआई के गवर्नर ने पहले ही साफ कर दिया है कि फिलहाल ब्याज दर यथास्थित रहेगी। इस बीच कनाडा और यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने इस साल ब्याज दरों में दो बार कटौती की है और अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने अपनी अगली बैठक में ब्याज दरों में कटौती करने की संभावना जताई है लेकिन भारत में, बढ़ती महंगाई के कारण, ब्याज दरों में कटौती का माहौल फिलहाल नजर नहीं आ रहा है, जिससे घरेलू अर्थव्यवस्था पर दबाव बना रह सकता है।
India: आरबीआई ने कहा ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की जाएगी
