Sunday, June 1, 2025
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srinagar : तुलबुल नौवहन बैराज परियोजना पर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती में नोंक-झोंक

srinagar। वुलर झील पर तुलबुल नौवहन बैराज परियोजना का काम फिर से शुरू करने के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आह्वान पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला बीच नोंक-झोंक हो गयी। उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को अपने निजी ‘एक्स हैंडल पर लिखा, ‘‘उत्तरी कश्मीर में वुलर झील।

 

वीडियो में आप जो निर्माण कार्य देख रहे हैं, वह तुलबुल नौवहन बैराज है। इसे 1980 के दशक के प्रारंभ में शुरू किया गया था, लेकिन सिंधु जल संधि के चलते पाकिस्तान के दबाव में इसे छोड़ना पड़ा था। अब जबकि सिंधु जल संधि को ‘अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है, तो क्या हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर तुलबुल परियोजना पूरी हो जाती है, तो इससे झेलम का इस्तेमाल नौवहन के लिए करने में मदद मिलेगी।

 

उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमें नौवहन के लिए झेलम का इस्तेमाल करने का लाभ मिलेगा। इससे खासकर सर्दियों में निचले हिस्से में बिजली परियोजनाओं से बिजली उत्पादन में भी सुधार होगा।

 

इस पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए ‘एक्स पर पोस्ट किया,‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का तुलबुल नौवहन परियोजना को बहाल करने का आह्वान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान न केवल ‘गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि ‘खतरनाक रूप से भड़काऊ भी हैं।

उन्होंने कहा,‘‘ऐसे समय में जब दोनों देश पूर्ण युद्ध के कगार से पीछे हटे हैं तथा जम्मू-कश्मीर में निर्दोष लोगों की जान गयी है, व्यापक विनाश हुआ और लोग अपार पीड़ा झेल रहे हैं, तब ऐसे बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खतरनाक रूप से भड़काऊ भी हैं।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमारे लोग भी देश के अन्य लोगों की तरह शांति के हकदार हैं। पानी जैसी आवश्यक और जीवनदायी चीज को हथियार बनाना न केवल अमानवीय है, बल्कि इससे उस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण होने का खतरा भी है, जो द्विपक्षीय मामला बना रहना चाहिए।

इस पर उमर अब्दुल्ला ने ‘एक्स पर जवाब दिया, ‘‘ दरअसल दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि सस्ती लोकप्रियता पाने और सीमा पार बैठे कुछ लोगों को खुश करने की अपनी अंधी लालसा के कारण आप यह मानने से इनकार कर रही हैं कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों के साथ सबसे बड़ा ऐतिहासिक विश्वासघात है।

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