New delhi । विराट कोहली और रोहित शर्मा के टेस्ट प्रारुप से संन्यास के बाद अब मुख्य कोच गौतम गंभीर ही टीम में सर्वेसर्वा बन गये हैं। इससे पहले अनुभवी स्पिनर आर अश्विन ने भी संन्यास ले लिया था।
ऐसे में अब कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं है जो कोच के कामकाज पर सवाल उठा सके। आम तौर पर अनुभवी खिलाड़ी कोच पसंद नहीं करते क्योंके वे कोच की रणनीति पर सवाल उठाते रहते है।
भारतीय टीम को अगले माह इंग्लैंड दौरे में टेस्ट सीरीज खेलनी है। इस दौरे पर जो भी नया कप्तान बनेगा वह शायद ही कोच के फैसलों से असहमति जता सके। शुभमन गिल को टी20 मैचों में कप्तानी का अनुभव है लेकिन टेस्ट मैच का नहीं।
ऐसे में जब बड़े और कड़े फैसले लेने की बात आएगी तो वे कोच के दबाव में आ सकते हैं। वह भी तब जब उन्होंने एक साल में देखा है कि गंभीर का प्रभाव देखा है। हमने पिछले साल देखा कि गंभीर के कहने पर बीसीसीआई ने विदेशी सहायक कोच रखे।
ये ऐसे सहायक कोच थे जो कभी ना कभी गौतम गंभीर के साथ रहे थे। कोच गंभीर की इस ताकत को देखते हुए अगर टीम का नया कप्तान दबाव में आ जाए तो इसमें किसी को हैरान होने की जरुरत नहीं है।
वहीं प्रशंसक उम्मीद करेंगे कि जो भी टीम इंडिया का नया कप्तान बने, वह कोच के दबाव में नहीं आते हुए अपने फैसले स्वतंत्र रहकर ले क्योंकि कमजोर कप्तान टीम के लिए नुकसानदेह रहता है। वहीं बीसीसीआई और इसके चयनकर्ताओं से भी उम्मीद रहेगी कि वे कप्तान को पूरी ताकत दें जिससे टीम बेहतर बने।