Friday, June 27, 2025
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New Delhi : कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा ने पांच कारण गिनाकर अपनी सफाई पेश की

जिस कमरे में कैश मिला, वहां स्टोर रुम

New Delhi । दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय को पत्र लिखकर कैश कांड पर अपनी बात रखी है। जस्टिस वर्मा ने अपने पत्र में सभी आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि छवि को खराब करने के लिए इसतरह के आरोप लगाए जा रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट में दावा हुआ था कि जस्टिस वर्मा के घर आग लगने की खबर पर पहुंचे दमकलकर्मियों को एक कमरे में बड़े पैमाने पर कैश मिला था। इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि कैश जलने के वीडियो भी दिल्ली पुलिस कमिश्नर की ओर से हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिए गए हैं।

अग्निकांड वाले दिन जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली में नहीं थे बल्कि मध्य प्रदेश की यात्रा पर थे। उनकी बेटी और मां ही घर पर थे। 15 मार्च की शाम को जस्टिस वर्मा घर लौटे थे। मामले में चीफ जस्टिस के निर्देशन में जांच जारी है और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले में स्पष्टीकरण मांगा था।

इसके अलावा तीन सदस्यीय एक समिति भी जांच के लिए गठित हुई है। वहीं जस्टिस वर्मा ने अपना जवाब दिया है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाशित भी किया है। जस्टिस वर्मा ने कैश जलने वाले वीडियो पर ही हैरानी जाहिर की है, इस वीडियो को पुलिस कमिश्नर ने चीफ जस्टिस को सौंपा। उन्होंने कहा कि जो वीडियो शेयर किया गया था और उसमें जो दिखाया गया है, वैसा कुछ भी मौके पर नहीं था।

उन्होंने दूसरी दलील में बताया कि जब अग्निकांड के बाद घर लौटे, परिवार के किसी सदस्य या फिर स्टाफ मेंबर ने उन्हें ऐसी किसी रिकवरी की बात नहीं बताई। उन्होंने कहा कि यह बात हैरान करने वाली है कि दावा किया जा रहा है, वैसा कुछ भी नहीं है। जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से कोई कैश बरामद नहीं हुआ। साथ ही जले हुए नोट भी बरामद नहीं हुए।

जबकि कैश जलने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि परिवार के किसी भी सदस्य ने उस कमरे में कोई कैश नहीं देखा, जहां 14 और 15 मार्च की रात को आग लगी थी। जस्टिस वर्मा ने कहा कि पुलिस उस दिन रात को लौट गई, लेकिन यह नहीं बताया कि वहां से कोई कैश बरामद हुआ है।

जस्टिस वर्मा ने कहा कि मैंने या फिर मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोर रूम में कोई कैश नहीं रखा था। हम जो भी कैश निकालते हैं, उसकी पूरी डिटेल है। हम बैंक से ही ऐसा करते हैं या फिर यूपीआई का इस्तेमाल होता है। या फिर कार्ड भी यूज करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं फिर से दोहरा रहा हूं कि मुझे या परिवार के किसी सदस्य को उस कमरे से कोई कैश नहीं मिला, जहां का दावा किया जा रहा है।

उन्होंने अपने बचाव में फायर सर्विस के चीफ का बयान ही दोहराया है कि मौके से कोई कैश नहीं मिला था। जज वर्मा का तीसरा दावा है कि जिस कमरे में कैश मिलने की बात कही गई है, वह उनके घर के मुख्य परिसर का हिस्सा नहीं है, बल्कि बाहर स्थित है। उन्होंने कहा कि रूम का इस्तेमाल स्टोररूम के तौर पर होता था और अक्सर खुला ही रहता था।

जस्टिस ने सफाई देते हुए अपने पत्र में लिखा है कि जहां आग लगी उस कमरे का इस्तेमाल स्टोर रूम के तौर पर होता था। यहां अक्सर फर्नीचर, बोतल, कारपेट, स्पीकर, बागबानी का सामान आदि रखा रहता है। यह रूम हमेशा खुला रहता था ताकि स्टाफ कभी भी जरूरी सामान ले सके। इसके अलावा मुख्य परिसर से यह जुड़ा भी नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कोई बाहर के कमरे में इतना मोटा कैश क्यों रखेगा।

जहां तक कोई भी आसानी से पहुंच जाए और कैश पा सके। उनकी चौथी दलील में एक साजिश का भी इशारा किया है। जस्टिस वर्मा ने लिखा कि दिसंबर 2024 में मेरे खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट हुई थीं। शायद उसी साजिश का हिस्सा है, जिसका एक रूप इसतरह सामने आया है।

पांचवीं बात उन्होंने रखी है कि उनके केस की जांच करा ली जाए। उन्होंने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि उनके केस की जांच करा ली जाए। इससे पूरी बात साफ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे मेरी गरिमा भी बहाल होगी और न्यायपालिका की छवि के लिए भी ऐसा करना बेहतर होगा।

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