New Delhi । चुनाव आयोग ने 18 मार्च मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की अनिवार्यता पर चर्चा हो सकती है। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, यूआईडीएआई के सीईओ और लेजिसलेटिव सेक्रेटरी शामिल होंगे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य फर्जी मतदान और डुप्लिकेट वोटर आईडी की समस्या को खत्म करना है।
वर्तमान में वोटर आईडी और आधार को लिंक करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया चुनावों को अधिक पारदर्शी बनाने में मदद करेगी। अब तक 64 करोड़ मतदाता अपने वोटर आईडी को आधार से जोड़ चुके हैं, जबकि देश में कुल 97 करोड़ मतदाता हैं। दिसंबर 2021 में लोकसभा में पारित चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक के तहत यह प्रक्रिया शुरू की गई थी।
हालांकि, आधार-वोटर आईडी लिंकिंग को लेकर कुछ विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों ने डेटा प्राइवेसी को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि आधार जैसी संवेदनशील जानकारी को वोटर आईडी से जोड़ने से डेटा लीक और साइबर सिक्योरिटी का खतरा बढ़ सकता है।
18 मार्च को होने जा रही बैठक में आधार लिंकिंग को अनिवार्य करने या इसे अभी ऑप्शनल ही बनाए रखने पर चर्चा होगी। अगर इसे अनिवार्य किया जाता है, तो सरकार को डेटा सुरक्षा उपायों को मजबूत करना होगा ताकि मतदाताओं की निजी जानकारी सुरक्षित रहे।