New Delhi । ब्रिटिश काउंसिल, कस्तूरबा गांधी मार्ग की गैलरी में “ज़ात” प्रदर्शनी पेश की जाएगी, जो सोनाक्षी की एक गहरी और प्रभावशाली मूर्तिकला कृति है। यह प्रदर्शनी मां-बेटी की पीढ़ियों की यादों को पारिवारिक चीज़ों, धातु और उनके अर्थों के ज़रिए सामने लाती है।
यह प्रदर्शनी 11 जून से 31 जुलाई 2025 तक स्टडी यूके: क्रिएटिव कनेक्शन्स II के हिस्से के रूप में चलेगी।आगरा में जन्मी और अब लंदन में रहने वाली सोनाक्षी चतुर्वेदी अपनी पेंटिंग, इनैमलिंग और रत्नों की जानकारी को मिलाकर यह सवाल उठाती हैं कि महिलाओं की कहानियां कैसे याद रखी जाती हैं—या जानबूझकर भुला दी जाती हैं।
सोनाक्षी बताती हैं, “ज़ात की शुरुआत मेरी अपनी पुरानी यादों को सहेजने के लिए हुई थी, लेकिन यह जल्द ही एक तरह का दावा बन गया—उन पारिवारिक चीज़ों को खोजने का, जिनमें उन महिलाओं का चुपके से किया गया विरोध छिपा था, जिन्हें सिर्फ़ मां, दुल्हन या दादी के रूप में जाना गया।
अपनी मूर्तियों के ज़रिए, मैं मां-बेटी की विरासत को चीज़ों की यादों के रूप में सहेजती हूं—ताकि आने वाली पीढ़ियों की महिलाएं उन्हें सिर्फ़ उनके रोल्स से नहीं, बल्कि उनकी ख्वाहिशों, आज़ादी और आवाज़ के साथ जानें।”“ज़ात” का मतलब है अपनी असली पहचान। इस प्रदर्शनी में आने वाले लोग पीतल, सफेद धातु, कोल्ड इनैमल, रेज़िन-बेस्ड इनैमल और रत्नों से बनी मूर्तियों को देखेंगे, जो कलाकार की दादी के शादी के सामान से प्रेरित हैं।