Mumbai ।शो ‘बिंदी’ इसी कालातीत रूपक को जीवंत करता है ।अच्छाई बनाम बुराई की इस लड़ाई को एक ऐसी बच्ची की यात्रा के माध्यम से दिखाते जिसका जन्म जेल में हुआ था, ठीक वैसे ही जैसे भगवान श्रीकृष्ण का। बिंदी (सांची भोयर) बड़ी होकर सत्य और संघर्ष का प्रतीक बन जाती है, जो अपनी माँ काजल (राधिका मुत्तुकुमार) की खोई हुई इज़्ज़त को वापस पाने के लिए लड़ती है।
एक ऐसी दुनिया में, जहाँ प्यार और धोखा अक्सर एक ही चेहरा पहन लेते हैं, बिंदी इतनी छोटी उम्र में ही अन्याय और छल के खिलाफ खड़ी हो जाती है। वह अपनी ही कहानी की ‘कृष्ण’ बनती है ।
निडर, सच्चाई की तलाश में दृढ़, और अपने जीवन के ‘कंस’ दयानंद (मानव गोहिल) का पर्दाफाश करने तथा अपनी माँ का सम्मान लौटाने के लिए संकल्पित है।कलर्स के ‘बिंदी’ में बिंदी की भूमिका निभा रही सांची भोयर कहती हैं।“बिंदी की कहानी भगवान श्रीकृष्ण जैसी है — जेल में जन्मी और अपने जीवन के ‘कंस’ से लड़ रही है।


