Kanpur । सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य करने के आदेश के बाद प्रदेशभर में शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है।आदेश के अनुसार अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी पास करना अनिवार्य होगा अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है।
इस फैसले से असंतुष्ट शिक्षकों ने विरोध तेज कर दिया है।वही उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक की अध्यक्षता में हजारों शिक्षको ने है टीईटी की अनिवार्यता खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया।
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष योगेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि 29 जुलाई 2011 से उत्तर प्रदेश में नई नियुक्तियों के लिए टीईटी अनिवार्य की गई। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों की टीईटी की अनिवार्यता को समाप्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश से प्रभावित होने वालों में अधिकतर 50 से 55 वर्ष की आयु वाले शिक्षक शामिल हैं, जो तमाम शारीरिक व्याधियों के बाद भी अपने काम को पूरी लगन और निष्ठा के साथ करने के लिए संघर्षरत हैं। नौकरी में आने के बाद टीईटी की अनिवार्यता को थोंपना उचित नहीं है।
महामंत्री विकास तिवारी ने कि अगर सरकार सकारात्मक पहल नहीं करती है तो शिक्षक संगठन के बैनर तले सड़कों पर संघर्ष भी करेंगे और कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे और सरकार इस काले कानून का वापस लेना चाहिए।
इस मौके पर राजा भरत अवस्थी अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद,राजेश तिवारी जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ,विक्रम सिंह,मोहम्मद अनस,इज़हार आलम शिवेंद्र सिंह,शिव प्रकाश तिवारी,धीरेंद्र यादव विजय श्रीवास्तव,मीरा प्रजापति,समीर मिश्रा रुखसार अहमद,सौरभ पांडे,राकेश पाल धर्मेंद्र यादव राघवेंद्र सिंह आदि हजारों शिक्षक उपस्थित रहे।