कानपुर एसआईटी जांच में बड़ा खुलासा, अधिवक्ता अखिलेश दुबे गिरोह से जुड़ा बताया गया, शासन ने किया निलंबित
Kanpur । यूपी में सहारनपुर के बाद अब कानपुर में पुलिस विभाग की छवि पर फिर दाग लगा है। मैनपुरी में तैनात सीओ ऋषिकांत शुक्ला पर अकूत संपत्ति अर्जित करने और अपराधी गिरोह से संबंध रखने के आरोप में विजिलेंस जांच शुरू हो गई है। कानपुर पुलिस की एसआईटी जांच में उनके पास 100 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति होने का खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के आधार पर शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया है। हालांकि निलंबित सीओ ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
अखिलेश दुबे के गिरोह से जुड़ा नाम
बीजेपी नेता सतीश सतीजा को झूठे रेप केस में फंसाने के मामले में जेल भेजे गए अधिवक्ता अखिलेश दुबे के गिरोह की जांच के दौरान सीओ ऋषिकांत शुक्ला का नाम सामने आया। एसआईटी ने पाया कि अखिलेश के गिरोह में पुलिस, पत्रकार और अधिवक्ता तक शामिल हैं। शासन को सौंपी रिपोर्ट में बताया गया कि सीओ ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न सिर्फ अवैध संपत्ति अर्जित की बल्कि अपराधियों को भी संरक्षण दिया।
आर्यनगर में 11 दुकानें, 12 स्थानों पर संपत्ति
तीन नवंबर को शासन में तैनात सचिव जगदीश ने प्रमुख सचिव विजिलेंस को पत्र भेजकर सीओ ऋषिकांत शुक्ला के खिलाफ जांच के आदेश दिए। एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया कि शुक्ला ने स्वयं, अपने परिजनों और सहयोगियों के नाम पर 12 स्थानों पर संपत्तियां खरीदीं जिनकी अनुमानित बाजार कीमत 92 करोड़ रुपये है। आर्यनगर में 11 दुकानें उनके साथी देवेंद्र दुबे के नाम से दर्ज हैं।
11 साल कानपुर में तैनाती, बाद में उन्नाव भेजे गए
ऋषिकांत शुक्ला 1998 से 2006 तक कानपुर में उपनिरीक्षक, और 2006 से 2009 तक निरीक्षक पद पर रहे। इसके बाद प्रमोशन पाकर पुलिस उपाधीक्षक बने और उन्नाव में तैनात किए गए। कानपुर में लंबी तैनाती के दौरान उन्होंने अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी।
10 पुलिसकर्मी भी जांच के घेरे में
सूत्रों के मुताबिक, अधिवक्ता अखिलेश दुबे के नेटवर्क में कई पुलिसकर्मी शामिल थे। फिलहाल ऋषिकांत शुक्ला समेत 10 पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर जांच की जा रही है। आशंका है कि आने वाले दिनों में और नाम उजागर होंगे। पुलिस मुख्यालय और विजिलेंस विभाग इस मामले को गंभीरता से लेकर निगरानी कर रहा है।


