चिकित्सा अधीक्षक समेत अन्य लापरवाह कर्मचारियों का वेतन रोका
Kanpur ।जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह द्वारा आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पतारा का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी को कई खामियां मिली। उन्होंने कर्मचारियों से पूछा कि सुबह से मरीजों के लिए कितनी बार एंबुलेंस भेजी गयी तथा औषधि वितरण केंद्र कितने बजे से कितने बजे तक खुला रहता है।
दवाओं का वितरण कौन करता है। इस पर उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। उन्होंने केंद्र में एक्सरे होने की स्थिति को जाना और पाया कि मौके पर एक्सरा तो मिला परन्तु एक्सरा टेक्नीशियन अमन वर्मा नदारद रहें जबकि उपस्थिति रजिस्टर में उसका हस्ताक्षर पाया गया, जिसकी जानकारी चिकित्सा अधीक्षक को भी नहीं थी। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि अप्रैल महीने में मात्र 60 एक्स-रे किए गए हैं।
चिकित्सा अधीक्षक अभिषेक कटिहार ओपीडी रजिस्टर स्वयं ना भरकर अन्य कर्मचारियों से भरवाते हैं। अवलोकन में यह भी पाया गया कि केंद्र में अनुपस्थित सात कर्मचारियों की छुट्टी अंकित नहीं की गई थी जबकि चिकित्सा अधीक्षक द्वारा रजिस्टर को सीन भी किया गया।
अप्रैल माह में मात्र 7 ओपीडी चिकित्सा अधीक्षक द्वारा की गई। पाया गया कि चिकित्सा अधीक्षक ओपीडी में मरीज को स्वयं नहीं देखते हैं, जिलाधिकारी ने जब इस लापरवाही के बारे में उनसे पूछा तो वे टाल – मटोल करते दिखे और संचारी रोग अभियान व अन्य व्यवस्थाओं में व्यस्त होने का हवाला देकर बहाने बनाते रहे। इस पर जिलाधिकारी ने चिकित्सा अधीक्षक समेत अन्य लापरवाह कर्मचारियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए वेतन रोकते हुए दंडात्मक व विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए।
गो आश्रय स्थल, बरनाव में पशुओं को हरे कीजगाह दिया जा रहा था सूखा चारा
जिलाधिकारी ने वृहद गो आश्रय स्थल, बरनाव, पतारा का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान।उन्होंने पाया कि मुख्य मार्ग से गौशाला जाने के मार्ग की हालत बहुत खराब है ।
गौशाला में पशुओं को हरा चारा के बजाय सूखा चारा दिया जाना पाया गया और चारे में चूनी -चोकर की मात्रा बहुत ही कम मिली। वहीं, सूखे चारे में पानी की कमी भी पाई गई। जिस पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी व संबंधित खंड विकास अधिकारी को गौशाला की अन्य कमियों की पड़ताल कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।
उन्होंने संबंधित प्रधान को कारण बताओं नोटिस जारी करने व अन्य संबंधित कर्मचारियों पर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि मूक पशुओं के साथ अमानवीयता करना ठीक नहीं है।शासन से प्रतिदिन, प्रति पशु ₹50 व्यय करने का प्रावधान है, तब भी उन्हें पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, जो कि अत्यंत खेद का विषय है।