अधिवक्ता अखिलेश दुबे और आयुष मिश्रा उर्फ लवी को जेल लेकर जाती पुलिस
Kanpur । रंगदारी मांगने व जान की धमकी के मामले में अधिवक्ता अखिलेश दुबे और आयुष मिश्रा उर्फ लवी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा की कोर्ट ने गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। दोनों की ओर से जमानत अर्जी भी दाखिल की गई थी, लेकिन दस साल तक की सजा का अपराध होने के कारण अर्जी सीजेएम कोर्ट ने खारिज कर दी। शुक्रवार को सेशन कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सकती है। पेशी के दौरान कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। कचहरी परिसर में पेशी के दौरान फोटो खींचने को लेकर आरोपी चिढ़ गए।
भाजपा नेता रवि सतीजा ने 50 लाख रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने की बर्रा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया कि एक जनवरी 2024 की रात उन्हें व्हाट्सएप कॉल पर जान से मारने की धमकी दी गई और चार जनवरी को पाक्सो एक्ट के तहत झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस जांच में मामला झूठा और नियोजित मिला। इस पर पुलिस ने मुकदमा निरस्त कर दिया। उसके बाद भी धमकी मिलती रही।
रवि के अनुसार अखिलेश दुबे ने अपने कार्यालय बुलाकर कहा था कि मुकदमे से बाहर होना है तो 50 लाख देने होंगे। आरोपियों विमल यादव, शैलेंद्र उर्फ टोनू यादव और लवी मिश्रा के नाम थे। उसी मामले में गुरुवार को अखिलेश और लवी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया गया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने विवेचक के रिमांड प्रार्थनापत्र निरस्त की पैरवी की।
कोर्ट ने धमकाने, मौत का डर दिखाकर वसूली और जान से मारने की धाराओं में न्यायिक अभिरक्षा मंजूर की। वहीं कोर्ट ने मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत की जालसाजी करने, किसी को धोखा देने के लिए जालसाजी कर इलेक्ट्रानिक साक्ष्य और दस्तावेज तैयार करने, जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक रिकार्ड को जानबूझकर असली के रूप में उपयोग करने और अपराध करने या किसी संपत्ति पर काबिज व्यक्ति को डराने के इरादे से प्रवेश करने में न्यायिक अभिरक्षा नहीं दी।
इन धाराओं में न्यायिक हिरासत मिली
308 (2) – धमकाकर जबरन वसूली करना-सात साल कैद
308 (5)- मौत का डर दिखाकर जबरन वसूली करना-10 साल
351 (3)- किसी को जान से मारने या गंभीर चोट पहुंचाने की धमकी देना-सात साल
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इनमें न्यायिक हिरासत नहीं
338- मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत की जालसाजी करना-उम्रकैद
336 (3)-किसी को धोखा देने के लिए जालसाजी कर इलेक्ट्रानिक साक्ष्य और दस्तावेज तैयार करना-सात साल
340 (2)- जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक रिकार्ड को जानकर असली के रूप में उपयोग करना-सात साल
329 (3)- अपराध करने या किसी संपत्ति पर काबिज व्यक्ति को डराने के इरादे से प्रवेश करना-तीन माह
-मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत की जालसाजी करना-उम्रकैद
जमानत अर्जी खारिज, कल सेशन में अर्जी लगाएंगे
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में अखिलेश दुबे व लवी का जमानत प्रार्थनापत्र दिया गया। अभियोजन में इसका विरोध करते हुए जमानत देने का विरोध किया। इसके बाद कोर्ट ने दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता मिथिलेश द्विवेदी ने बताया कि अब शुक्रवार को सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई जाएगी।
कड़ी सुरक्षा में पहुंचाया कोर्ट, एलआईयू रही सतर्क
अखिलेश व लवी को पुलिस की कड़ी सुरक्षा में जिलाधिकारी कार्यालय के पीछे गेट से लाया गया और सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर, सीजेएम कोर्ट के बाहर और कचहरी के शताब्दी द्वार पर भारी फोर्स तैनात रही। क्यूआरटी के जवान भी मुस्तैद थे और एलआईयू की टीम भी हर पल की जानकारी लेकर अफसरों को अपडेट करती रही।
साक्ष्य जुटाने में जुट गई पुलिस टीम
अधिवक्ता अखिलेश दुबे की बुधवार देर शाम गिरफ्तारी के बाद पुलिस टीम उनके खिलाफ साक्ष्य जुटाने में जुट गई है। बुधवार देर रात एडीसीपी योगेश कुमार की अगुवाई में पुलिस बल ने उनके घर और कार्यालय पर दबिश दी। जहां मौजूद कुछ महिलाओं ने कार्रवाई का विरोध भी किया।
हालांकि महिला पुलिस कर्मियों ने उन्हें समझाकर शांत कराया। बताया कि कार्रवाई से रोकना अपराध है। इसके बाद पुलिस कर्मियों ने घर के अंदर और कार्यालय में मौजूद मिले लैपटॉप, डेस्कटॉप कंप्यूटरों के सीपीयू को साथ ले गई। इनकी जांच कराई जाएगी। डीसीपी साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि टीम ने दबिश दी थी। कुछ वस्तुओं को जांच के लिए साथ लाया गया है। पुलिस की पूरी कार्रवाई करीब एक घंटे चली। इसके बाद पुलिसकर्मी वापस बर्रा थाने पहुंचे।
कांशीराम ट्रामा सेंटर में हुआ मेडिकल
एसआईटी कार्यालय से अधिवक्ता अखिलेश दुबे की गिरफ्तारी के बाद बर्रा पुलिस देर रात उनका मेडिकल कांशीराम ट्रामा सेंटर में कराया। देर रात करीब डेढ बजे बर्रा थाने की जीप में अधिवक्ता अखिलेश व दूसरी जीप में लवी मिश्रा को बैठाया गया।
लवी की जीप नौबस्ता रैंप से होकर रामादेवी पहुंची, जबकि श्यामनगर रोड होते अखिलेश कांशीराम अस्पताल पहुंचे। लवी ने रास्ते में दूसरे रास्ते पर चलने पर चिंता जताई तो साथ बैठे पुलिस कर्मियों ने उसे भरोसा दिलाया कि दोनों गाड़ियां कांशीराम ही पहुंचेंगी। कुछ देर बाद दोनों अस्पताल पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने उनका मेडिकल किया। वापस बर्रा थाने लौटने के बाद सुबह कचहरी ले जाया गया।