अमित शाह का बयान सिखों का अपमान, एसजीपीसी ने की माफी की मांग
अमृतसर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) सिखों का अपमान बताते हुए कड़ी निंदा की है। बता दें शुक्रवार को एसजीपीसी की महासभा में पारित प्रस्ताव में कहा कि संत जरनैल सिंह भिंडरावाले को राष्ट्रीय शहीद माना जाता है, जिन्होंने सिख धर्म और सिख पहचान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
एसजीपीसी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान को सिख समुदाय का अपमान बताया है, जिसमें उन्होंने अमृतपाल सिंह की तुलना भिंडरावाले से की थी और कहा था कि कुछ लोग पंजाब में भिंडरावाले बनने की कोशिश कर रहे थे और अब असम की जेल में गुरुग्रंथ साहिब का पाठ कर रहे हैं।
एसजीपीसी ने इस बयान को सिख विरोधी बताते हुए कहा कि यह देश की बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक पहचान को ठेस पहुंचाने वाला है। कमेटी ने केंद्र सरकार से सिखों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने और इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी से बचने की अपील की है। महासभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि इस तरह की टिप्पणियां सिख समुदाय के बलिदानों को नजरअंदाज करने के समान हैं।
एसजीपीसी ने गुरबानी पर अमित शाह की टिप्पणी को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि गुरबानी गुरु साहिबानों द्वारा रचित दिव्य वाणी है और सिख धर्म का पवित्र अंग है। गुरबानी को नकारात्मक संदर्भ में प्रस्तुत करना इसकी पवित्रता का अपमान करना है। एसजीपीसी ने सरकार को याद दिलाया कि सिखों ने देश की आज़ादी और सुरक्षा के लिए अनगिनत कुर्बानियां दी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
एसजीपीसी ने किसानों के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को घेरा और कहा कि सरकार किसानों की जायज मांगों को नजरअंदाज कर रही है। महासभा में पारित प्रस्ताव में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले किसान अपने हक की मांग कर रहे हैं।
लेकिन सरकार उन पर झूठे मुकदमे लगा रही है और उन्हें गिरफ्तार कर रही है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। सरकार से किसान नेताओं पर दर्ज मामलों को तुरंत वापस लेने की मांग की।
एसजीपीसी ने पंजाब में मिलिटेंसी के दौर में पुलिस द्वारा किए गए फर्जी एनकाउंटरों की जांच के हालिया फैसले का स्वागत किया और कहा कि 1984 के बाद कई निर्दोष सिख युवाओं को झूठे मामलों में फंसाकर मारा गया।
अब दोषी पुलिस अधिकारियों को सजा मिलनी चाहिए। इसके अलावा एसजीपीसी महासभा ने सिख श्रद्धालुओं के लिए अमृतसर में एक वीजा कार्यालय खोलने की मांग की, ताकि पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन करने में आसानी हो।