UP । बांदा स्थित जसपुरा कस्बे में बीते गुरुवार को बाढ़ का पानी देखने गए युवक राधे बाल्मीकि (30) पुत्र दुर्जन का शव आज सातवें दिन बरामद किया गया। ग्रामीणों और परिजनों का आरोप है कि रेस्क्यू टीम केवल एक दिन के लिए भेजी गई थी, बाकी दिनों में सिर्फ ग्रामीण और स्थानीय पुलिस ही तलाश करते रहे।
घटना के अनुसार, गुरुवार की दोपहर राधे घर से कुछ दूरी पर आई बाढ़ को देखने गया था, तभी अचानक पानी का तेज बहाव आया और वह डूबने लगा। आसपास खड़े ग्रामीणों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। तुरंत परिजनों और पुलिस को सूचना दी गई।
थाना प्रभारी अनिल कुमार टीम के साथ मौके पर पहुंचे और तहसील प्रशासन द्वारा रेस्क्यू टीम को बुलवाया गया, जो लगभग 5 घंटे की देरी से शाम को पहुंची। लेकिन अगले दिन दोपहर तक टीम के न लौटने पर लोगों ने पुराने बस स्टैंड पर जाम लगाया।
सिर्फ आश्वासन मिले, कार्रवाई नहीं हुई जाम के दौरान राज्यमंत्री रामकेश निषाद, स्थानीय प्रशासन और सपा के राष्ट्रीय महासचिव द्वारा टीम भेजने का आश्वासन दिया गया, लेकिन पांच दिन में केवल एक दिन ही रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। ग्रामीणों व परिजनों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने उन्हें सिर्फ आश्वासन दिए, बाकी दिनों में न तो कोई टीम आई, न ही गोताखोर तैनात किए गए।
शव की पहचान लाला सिंह ने की, पत्नी की एक साल पहले हो चुकी है मौत आज सुबह कस्बे के ही लाला सिंह ने एक बगीचे के पास राधे का शव पड़ा देखा। कपड़ों और दायें हाथ में पहने चूड़े से शव की पहचान की गई। लाला सिंह ने तुरंत परिजनों और पुलिस को सूचना दी। राधे तीन भाइयों में सबसे बड़ा था और उसकी पत्नी राजकुमारी की मृत्यु एक वर्ष पूर्व हो चुकी है।
थाना प्रभारी अनिल कुमार ने बताया कि “शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए बांदा भेजा गया है।”ग्रामीणों में नाराजगी, बोले- मौत के बाद ही हरकत में आता है सिस्टम ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय पर गोताखोरों की मदद ली जाती, तो शायद राधे को बचाया जा सकता था। अब पांच दिन बाद जब शव मिला, तब जाकर मामला शांत हुआ है। गांव में शोक और आक्रोश का माहौल है।