Bangalore। यहां रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (आरसीबी) की जीत का जश्न मानने गये लोगों को क्या मालूम था कि यहां स्टेडियम का गेट नंबर 7 मौत का दरवाजा बन जाएगा। प्रशंसक 18 साल बाद आरसीबी को मिली जीत का जश्न मनाने गये थे पर उन्हें बदले में मिली मौत। ये वो प्रशंसक थे जिनके पास टिकट थे। मरने वालों में अधिकतर युवा महिलाएं और बच्चे थे।
ये प्रशंसक अपनी पसंदीदा खिलाड़ियां की एक झलक पाने के लिए सभी बेरीकेडिंग तोहड़कर गेट नंबर 7 पर उमड़ पड़े। इस दौरान वहां तैनात पुलिसकर्मी असहाये नजर आये। इन लोगों ने प्रशंसकों को रोकन का प्रशस किया पर कोई नहीं माना।
जश्न में शामिल होने के लिए हजारों लोग एकसाथ गेट से आगे जाने का प्रयास कर रहे थे। इसके कारण भगदड़ मच गयी जिसमें कई लोग दबकर कुचल गये जबकि कई घायल हुए। इससे कई घरों में मातम छ गया। वहीं इस हादसे की जिम्मेदारी देने को कोई तैयार नहीं है।
राज्य सरकार का कहना है कि 30 से 35 हजार लोगों के आने की उम्मीद थी पर दो से तीन लाख लोग आ गये जिससे अव्यवस्था फैल गयी। युवाओं का कहना है कि वे गेट पर कतार में खड़े थे पर भीड़ बढ़ती जा रही थी और ऐसे में अफरातफरी मच गयी। उन्होंने घायलों को बचाने का प्रयास किय पर इसमें सफलता नहीं मिल पायी। वहीं भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) का कहना है कि उसका इस जश्न के आयोजन से कोई संबधं नहीं है।
ये स्थानीय स्तर पर हुआ था हालांकि उसने माना कि आयोजकों से गलती हुई है। वहीं राज्य सरकार ने मारे गये लोगेां के परिवारों को 10-10 लाख रुपये की सहायता देने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ दिया है। वहीं राज्य क्रिकेट संघ ने इस मामले की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है।
इससे साफ है कि प्रशंसकों की जान की कीमत किसी ने नहीं समझी है। जब प्रशंसक अपनी जान बचाने के लिए जूझ रहे थे तब स्टेडियम के अंदर नेता टीम के खिलाड़ियों के साथ तस्वीरें खिंचा रहे थे।